संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल234
शेर374
ई-पुस्तक1010
टॉप 20 शायरी 20
चित्र शायरी 45
ऑडियो 82
वीडियो288
मर्सिया1
क़ितआ28
रुबाई34
क़िस्सा18
ब्लॉग12
सेहरा3
अप्रचलित ग़ज़लें248
क़ादिर नामा1
क़सीदा10
सलाम1
मुखम्मस1
मसनवी3
अप्रचलित शेर60
मिर्ज़ा ग़ालिब के वीडियो
This video is playing from YouTube
वीडियो का सेक्शन
Studio_Videos
वीडियो का सेक्शन
अन्य वीडियो
शायरी वीडियो
-
Asad Ullah Khan Ghalib-Safar - Part 2 - Zubaan-e-Ishq मुज़फ्फर अली
Studio_Videos
-
-
फ़हद हुसैन
-
फ़हद हुसैन
-
-
फ़ैसल फेहमी
-
गोपी चंद नारंग
-
फ़रहत एहसास
-
फ़रहत एहसास
-
-
फ़हद हुसैन
-
ज़िया मोहीउद्दीन
अन्य वीडियो
-
अज्ञात
-
ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
अज्ञात
-
ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
मेहरान अमरोही
-
ज़मर्रुद बानो
-
Gai wo baat ki ho guftugu to kyunkar ho मेहनाज़ बेगम
-
Ghalib aur Mein-Zia Mohyeddin ज़िया मोहीउद्दीन
-
Ghalib Ka Ek Khat ज़िया मोहीउद्दीन
-
Ghalib Ke Khutoot 15 ज़िया मोहीउद्दीन
-
hai bas-ki har ek un ke ishaare mein nishan aur नूर जहाँ
-
hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main महेन्द्र कपूर
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक अज्ञात
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक इक़बाल बानो
-
उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए उस्बताद बरकत अली ख़ान
-
एक जा हर्फ़-ए-वफ़ा लिक्खा था सो भी मिट गया ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
कब वो सुनता है कहानी मेरी मिर्ज़ा ग़ालिब
-
कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से एम. कलीम
-
कोई दिन गर ज़िंदगानी और है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
गर ख़ामुशी से फ़ाएदा इख़्फ़ा-ए-हाल है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
चाहिए अच्छों को जितना चाहिए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना नसीम बेगम
-
जिस बज़्म में तू नाज़ से गुफ़्तार में आवे ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले इक़बाल बानो
-
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले मलिका पुखराज
-
दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है अज्ञात
-
दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या लुतफ़ुल्लाह ख़ान
-
धोता हूँ जब मैं पीने को उस सीम-तन के पाँव ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है अज्ञात
-
बे-ए'तिदालियों से सुबुक सब में हम हुए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए फ़रीदा ख़ानम
-
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए इक़बाल बानो
-
रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो हबीब वली मोहम्मद
-
वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो ज़मर्रुद बानो
-
वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ मेहदी हसन
-
सर-गश्तगी में आलम-ए-हस्ती से यास है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ से ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
gai wo baat ki ho guftugu to kyunkar ho मेहनाज़ बेगम
-
gai wo baat ki ho guftugu to kyunkar ho मिर्ज़ा ग़ालिब
-
hai bas-ki har ek un ke ishaare mein nishan aur नूर जहाँ
-
hai bas-ki har ek un ke ishaare mein nishan aur मिर्ज़ा ग़ालिब
-
hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main महेन्द्र कपूर
-
hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main मिर्ज़ा ग़ालिब
-
hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main मिर्ज़ा ग़ालिब
-
hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main सी एच आत्मा
-
har ek baat pe kahte ho tum ki tu kya hai ग़ुलाम अली
-
har ek baat pe kahte ho tum ki tu kya hai मिर्ज़ा ग़ालिब
-
hum par jafa se tark-e-wafa ka guman nahin फ़रीदा ख़ानम
-
hum par jafa se tark-e-wafa ka guman nahin मिर्ज़ा ग़ालिब
-
husn ghamze ki kashakash se chhuTa mere baad मिर्ज़ा ग़ालिब
-
husn ghamze ki kashakash se chhuTa mere baad हामिद अली ख़ान
-
ibn-e-maryam hua kare koi फ़रीदा ख़ानम
-
ibn-e-maryam hua kare koi मिर्ज़ा ग़ालिब
-
jab tak dahan-e-zaKHm na paida kare koi मेहदी हसन
-
jab tak dahan-e-zaKHm na paida kare koi मिर्ज़ा ग़ालिब
-
kisi ko de ke dil koi nawa-sanj-e-fughan kyun ho मिर्ज़ा ग़ालिब
-
kisi ko de ke dil koi nawa-sanj-e-fughan kyun ho सुरैया
-
koi din gar zindagani aur hai मिर्ज़ा ग़ालिब
-
koi din gar zindagani aur hai विनोद सहगल
-
koi din gar zindagani aur hai मेहदी हसन
-
koi din gar zindagani aur hai मिर्ज़ा ग़ालिब
-
phir mujhe dida-e-tar yaad aaya बेगम अख़्तर
-
phir mujhe dida-e-tar yaad aaya मिर्ज़ा ग़ालिब
-
rahiye ab aisi jagah chal kar jahan koi na ho टॉम आल्टर
-
rahiye ab aisi jagah chal kar jahan koi na ho मिर्ज़ा ग़ालिब
-
rone se aur ishq mein bebak ho gae अमानत अली ख़ान
-
rone se aur ishq mein bebak ho gae मिर्ज़ा ग़ालिब
-
wo aa ke KHwab mein taskin-e-iztirab to de ग़ुलाम अली
-
wo aa ke KHwab mein taskin-e-iztirab to de मिर्ज़ा ग़ालिब
-
y7tBSqNjigU गोपी चंद नारंग
-
अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा जगजीत सिंह
-
अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा मेहदी हसन
-
अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा ज़ाहिदा परवीन
-
आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे सायरा नसीम
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक मिर्ज़ा ग़ालिब
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक शबाना कौसर
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक मेहरान अमरोही
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक हुसैन बख्श
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक मेहदी हसन
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक उस्बताद बरकत अली ख़ान
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक जगजीत सिंह
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक अज्ञात
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक श्रुति पाठक
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक अज्ञात
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक हबीब वली मोहम्मद
-
इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई अज्ञात
-
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही अज्ञात
-
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही एजाज़ हुसैन हज़रावी
-
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही कुंदन लाल सहगल
-
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही चित्रा सिंह
-
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही फ़रीदा ख़ानम
-
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही फ़िरोज़ा बेगम
-
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही तलअत महमूद
-
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना शुमोना राय बिस्वास
-
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना मेहरान अमरोही
-
उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए एम. कलीम
-
उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
कब वो सुनता है कहानी मेरी हामिद अली ख़ान
-
क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख कर ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
कहूँ जो हाल तो कहते हो मुद्दआ' कहिए सी एच आत्मा
-
कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया रुना लैला
-
कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
कार-गाह-ए-हस्ती में लाला दाग़-सामाँ है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो शैली कपूर
-
किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो एम. कलीम
-
किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो ग़ुलाम अली
-
की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं मेहरान अमरोही
-
कोई उम्मीद बर नहीं आती अज्ञात
-
कोई उम्मीद बर नहीं आती भारती विश्वनाथन
-
कोई उम्मीद बर नहीं आती बेगम अख़्तर
-
कोई दिन गर ज़िंदगानी और है मेहरान अमरोही
-
ग़ुंचा-ए-ना-शगुफ़्ता को दूर से मत दिखा कि यूँ कुमार मुख़र्जी
-
ग़ुंचा-ए-ना-शगुफ़्ता को दूर से मत दिखा कि यूँ ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
ग़म खाने में बूदा दिल-ए-नाकाम बहुत है ज़िया मोहीउद्दीन
-
ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
घर जब बना लिया तिरे दर पर कहे बग़ैर भारती विश्वनाथन
-
जुज़ क़ैस और कोई न आया ब-रू-ए-कार ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
जुनूँ की दस्त-गीरी किस से हो गर हो न उर्यानी ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है मोहम्मद रफ़ी
-
ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है शैली कपूर
-
जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं सुधीर नारायण
-
जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं शाहिदा हसन
-
जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं नाहीद अख़्तर
-
जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं ग़ुलाम अली
-
जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं मलिका पुखराज
-
जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं अज्ञात
-
जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं उबैदुल्लाह अलीम
-
ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना बेगम अख़्तर
-
जिस बज़्म में तू नाज़ से गुफ़्तार में आवे सय्यद ताहिर हसनी
-
तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो मेहरान अमरोही
-
तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
तेरे तौसन को सबा बाँधते हैं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले राहत फ़तह अली
-
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले उस्बताद बरकत अली ख़ान
-
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले बेगम अख़्तर
-
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ जगजीत सिंह
-
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ अज्ञात
-
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ बेगम अख़्तर
-
दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाए हाए मलिका पुखराज
-
दहर में नक़्श-ए-वफ़ा वजह-ए-तसल्ली न हुआ ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं असद अमानत अली
-
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं बेगम अख़्तर
-
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं मेहरान अमरोही
-
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं मेहदी हसन
-
दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए एम. कलीम
-
दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए इक़बाल बानो
-
दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए इक़बाल बानो
-
दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया सुंबुल राजा
-
दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई अनीता सिंघवी
-
दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई कुंदन लाल सहगल
-
दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई मुनव्वर सुल्ताना
-
दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई भारती विश्वनाथन
-
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ आबिदा परवीन
-
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ शैली कपूर
-
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ जगजीत सिंह
-
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ अज्ञात
-
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ अज्ञात
-
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ शुमोना राय बिस्वास
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है तलअत महमूद
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है भारती विश्वनाथन
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है गायत्री अशोकन
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है तलअत महमूद
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है आबिदा परवीन
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है कविता सेठ
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है फरीहा परवेज़
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है शुमोना राय बिस्वास
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है अज्ञात
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है तलअत महमूद
-
दीवानगी से दोश पे ज़ुन्नार भी नहीं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या जगजीत सिंह
-
दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या मेहरान अमरोही
-
धमकी में मर गया जो न बाब-ए-नबर्द था ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता जगजीत सिंह
-
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने मेहरान अमरोही
-
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने ज़िया मोहीउद्दीन
-
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने असद सलाहुद्दीन
-
नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का तलअत महमूद
-
नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
नक़्श-ए-नाज़-ए-बुत-ए-तन्नाज़ ब-आग़ोश-ए-रक़ीब नाज़िश
-
नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
नहीं कि मुझ को क़यामत का ए'तिक़ाद नहीं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
फिर इस अंदाज़ से बहार आई फ़िरदौसी बेगम
-
फिर इस अंदाज़ से बहार आई नसीम बेगम
-
फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है मेहरान अमरोही
-
फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है आबिदा परवीन
-
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया तलअत महमूद
-
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया लता मंगेशकर
-
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया कुंदन लाल सहगल
-
बला से हैं जो ये पेश-ए-नज़र दर-ओ-दीवार ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना अज्ञात
-
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना शुमोना राय बिस्वास
-
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे जगजीत सिंह
-
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे मेहरान अमरोही
-
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे सुरैया
-
बिसात-ए-इज्ज़ में था एक दिल यक क़तरा ख़ूँ वो भी ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें कुंदन लाल सहगल
-
मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें एम. कलीम
-
मज़े जहान के अपनी नज़र में ख़ाक नहीं अमानत अली ख़ान
-
मज़े जहान के अपनी नज़र में ख़ाक नहीं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए नूर जहाँ
-
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए भूपिंदर सिंह
-
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए इक़बाल बानो
-
महरम नहीं है तू ही नवा-हा-ए-राज़ का ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
मिलती है ख़ू-ए-यार से नार इल्तिहाब में अली रज़ा
-
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता फरीहा परवेज़
-
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता मिर्ज़ा ग़ालिब
-
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता हबीब वली मोहम्मद
-
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अज्ञात
-
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता भारती विश्वनाथन
-
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता बेगम अख़्तर
-
रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो सुरैया
-
रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए लता मंगेशकर
-
लरज़ता है मिरा दिल ज़हमत-ए-मेहर-ए-दरख़्शाँ पर ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
लाज़िम था कि देखो मिरा रस्ता कोई दिन और ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
वाँ पहुँच कर जो ग़श आता पए-हम है हम को ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब तो दे उस्बताद बरकत अली ख़ान
-
वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ जगजीत सिंह
-
वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ मेहरान अमरोही
-
शौक़ हर रंग रक़ीब-ए-सर-ओ-सामाँ निकला एजाज़ हुसैन हज़रावी
-
सताइश-गर है ज़ाहिद इस क़दर जिस बाग़-ए-रिज़वाँ का ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
सद जल्वा रू-ब-रू है जो मिज़्गाँ उठाइए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं कमला झरिया
-
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं अज्ञात
-
सरापा रेहन-इश्क़-ओ-ना-गुज़ीर-उल्फ़त-हस्ती ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है मेहदी हसन
-
सिम्राट छाबरा सिम्राट छाबरा
-
है आरमीदगी में निकोहिश बजा मुझे ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
हुई ताख़ीर तो कुछ बाइस-ए-ताख़ीर भी था फ़रीदा ख़ानम
-
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले फ़्रांसेस डब्ल्यू प्रीचेट
-
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले मिर्ज़ा ग़ालिब
-
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले एम. कलीम
-
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले अज्ञात
-
हम पर जफ़ा से तर्क-ए-वफ़ा का गुमाँ नहीं मेहदी हसन
-
हम रश्क को अपने भी गवारा नहीं करते शिशिर पारखी
-
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है अज्ञात
-
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है फरीहा परवेज़
-
हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं हबीब वली मोहम्मद
-
हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं मेहदी हसन
-
हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं मेहरान अमरोही
-
हरीफ़-ए-मतलब-ए-मुश्किल नहीं फ़ुसून-ए-नियाज़ ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या मेहनाज़ बेगम
-
हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द मेहदी हसन
-
हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द बेगम अख़्तर
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कुंदन लाल सहगल
-
इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई शुमोना राय बिस्वास
-
उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए मेहदी हसन
-
कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से आशा भोसले
-
कोई उम्मीद बर नहीं आती लता मंगेशकर
-
कोई दिन गर ज़िंदगानी और है मुन्नी बेगम
-
ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना मोहम्मद रफ़ी
-
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले इक़बाल बानो
-
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ मोहम्मद रफ़ी
-
दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए मोहम्मद रफ़ी
-
दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई राहत फ़तह अली
-
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने जद्दनबाई
-
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए मोहम्मद रफ़ी
-
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता इक़बाल बानो
-
शौक़ हर रंग रक़ीब-ए-सर-ओ-सामाँ निकला नय्यरा नूर
-
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं हिना नसरुल्लाह
-
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है कुंदन लाल सहगल
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक विविध
-
इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई कुंदन लाल सहगल
-
कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से नूर जहाँ
-
तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले नूर जहाँ
-
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ बेगम अख़्तर
-
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है पीनाज़ मसानी
-
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने कुंदन लाल सहगल
-
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे मोहम्मद रफ़ी
-
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
-
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है विविध
-
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक बेगम अख़्तर
-
कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से लता मंगेशकर
-
ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना फ़रीदा ख़ानम
-
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ शफ़क़त अमानत अली
-
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने आबिदा परवीन
-
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अमानत अली ख़ान
-
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता चित्रा सिंह