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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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मिर्ज़ा ग़ालिब

1797 - 1869 | दिल्ली, भारत

विश्व-साहित्य में उर्दू की सबसे बुलंद आवाज़। सबसे अधिक सुने-सुनाए जाने वाले महान शायर

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Asad Ullah Khan Ghalib-Safar - Part 2 - Zubaan-e-Ishq

मुज़फ्फर अली

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ज़िया मोहीउद्दीन

फ़रहत एहसास

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अज्ञात

अज्ञात

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ज़मर्रुद बानो

मेहरान अमरोही

Gai wo baat ki ho guftugu to kyunkar ho

Gai wo baat ki ho guftugu to kyunkar ho मेहनाज़ बेगम

Ghalib aur Mein-Zia Mohyeddin

Ghalib aur Mein-Zia Mohyeddin ज़िया मोहीउद्दीन

Ghalib Ka Ek Khat

Ghalib Ka Ek Khat ज़िया मोहीउद्दीन

Ghalib Ke Khutoot 15

Ghalib Ke Khutoot 15 ज़िया मोहीउद्दीन

hai bas-ki har ek un ke ishaare mein nishan aur

hai bas-ki har ek un ke ishaare mein nishan aur नूर जहाँ

hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main

hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main महेन्द्र कपूर

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक इक़बाल बानो

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक अज्ञात

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक उस्ताद बरकत अली ख़ान

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई बेगम अख़्तर

उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए

उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए उस्ताद बरकत अली ख़ान

एक जा हर्फ़-ए-वफ़ा लिक्खा था सो भी मिट गया

एक जा हर्फ़-ए-वफ़ा लिक्खा था सो भी मिट गया ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

कब वो सुनता है कहानी मेरी

कब वो सुनता है कहानी मेरी मिर्ज़ा ग़ालिब

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से एम. कलीम

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से एम. कलीम

कहते तो हो तुम सब कि बुत-ए-ग़ालिया-मू आए

कहते तो हो तुम सब कि बुत-ए-ग़ालिया-मू आए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं

की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं एजाज़ हुसैन हज़रावी

कोई उम्मीद बर नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

कोई उम्मीद बर नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती मलिका पुखराज

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

गर ख़ामुशी से फ़ाएदा इख़्फ़ा-ए-हाल है

गर ख़ामुशी से फ़ाएदा इख़्फ़ा-ए-हाल है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

चाहिए अच्छों को जितना चाहिए

चाहिए अच्छों को जितना चाहिए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है मोहम्मद रफ़ी

ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना नसीम बेगम

जिस बज़्म में तू नाज़ से गुफ़्तार में आवे

जिस बज़्म में तू नाज़ से गुफ़्तार में आवे ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले इक़बाल बानो

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले इक़बाल बानो

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले ख़ुर्शीद बेगम

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले मलिका पुखराज

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ अज्ञात

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है अज्ञात

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है मेहदी हसन

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है हरिहरण

दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या

दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या लुतफ़ुल्लाह ख़ान

धोता हूँ जब मैं पीने को उस सीम-तन के पाँव

धोता हूँ जब मैं पीने को उस सीम-तन के पाँव ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

न हुई गर मिरे मरने से तसल्ली न सही

न हुई गर मिरे मरने से तसल्ली न सही ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने मोहम्मद रफ़ी

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है अज्ञात

बे-ए'तिदालियों से सुबुक सब में हम हुए

बे-ए'तिदालियों से सुबुक सब में हम हुए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना मोहम्मद रफ़ी

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे मोहम्मद रफ़ी

मैं हूँ मुश्ताक़-ए-जफ़ा मुझ पे जफ़ा और सही

मैं हूँ मुश्ताक़-ए-जफ़ा मुझ पे जफ़ा और सही मोहम्मद रफ़ी

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए मोहम्मद रफ़ी

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए इक़बाल बानो

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए फ़रीदा ख़ानम

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो हबीब वली मोहम्मद

वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो

वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो ज़मर्रुद बानो

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ मेहदी हसन

सर-गश्तगी में आलम-ए-हस्ती से यास है

सर-गश्तगी में आलम-ए-हस्ती से यास है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है

सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है

सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और

है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और मोहम्मद रफ़ी

है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और

है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और ज़मर्रुद बानो

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले हबीब वली मोहम्मद

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है अज्ञात

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ से

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ से ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो

हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

हुस्न-ए-मह गरचे ब-हंगाम-ए-कमाल अच्छा है

हुस्न-ए-मह गरचे ब-हंगाम-ए-कमाल अच्छा है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

gai wo baat ki ho guftugu to kyunkar ho

gai wo baat ki ho guftugu to kyunkar ho मेहनाज़ बेगम

hai bas-ki har ek un ke ishaare mein nishan aur

hai bas-ki har ek un ke ishaare mein nishan aur नूर जहाँ

hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main

hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main महेन्द्र कपूर

hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main

hairan hun dil ko roun ki piTun jigar ko main सी एच आत्मा

har ek baat pe kahte ho tum ki tu kya hai

har ek baat pe kahte ho tum ki tu kya hai ग़ुलाम अली

hum par jafa se tark-e-wafa ka guman nahin

hum par jafa se tark-e-wafa ka guman nahin फ़रीदा ख़ानम

husn ghamze ki kashakash se chhuTa mere baad

husn ghamze ki kashakash se chhuTa mere baad हामिद अली ख़ान

ibn-e-maryam hua kare koi

ibn-e-maryam hua kare koi फ़रीदा ख़ानम

jab tak dahan-e-zaKHm na paida kare koi

jab tak dahan-e-zaKHm na paida kare koi मेहदी हसन

kisi ko de ke dil koi nawa-sanj-e-fughan kyun ho

kisi ko de ke dil koi nawa-sanj-e-fughan kyun ho सुरैया

koi din gar zindagani aur hai

koi din gar zindagani aur hai मेहदी हसन

koi din gar zindagani aur hai

koi din gar zindagani aur hai विनोद सहगल

phir mujhe dida-e-tar yaad aaya

phir mujhe dida-e-tar yaad aaya बेगम अख़्तर

rahiye ab aisi jagah chal kar jahan koi na ho

rahiye ab aisi jagah chal kar jahan koi na ho टॉम आल्टर

rone se aur ishq mein bebak ho gae

rone se aur ishq mein bebak ho gae उस्ताद अमानत अली ख़ान

wo aa ke KHwab mein taskin-e-iztirab to de

wo aa ke KHwab mein taskin-e-iztirab to de ग़ुलाम अली

y7tBSqNjigU

y7tBSqNjigU गोपी चंद नारंग

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा जगजीत सिंह

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा मेहदी हसन

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा ज़ाहिदा परवीन

आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे

आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे सायरा नसीम

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक हबीब वली मोहम्मद

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक जगजीत सिंह

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक श्रुति पाठक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक मेहदी हसन

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक उस्ताद बरकत अली ख़ान

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक हुसैन बख्श

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक मेहरान अमरोही

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक अज्ञात

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक अज्ञात

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक शबाना कौसर

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई अज्ञात

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही अज्ञात

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही कुंदन लाल सहगल

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही चित्रा सिंह

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही तलअत महमूद

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही फ़रीदा ख़ानम

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही फ़िरोज़ा बेगम

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही एजाज़ हुसैन हज़रावी

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना मेहरान अमरोही

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना शुमोना राय बिस्वास

उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए

उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए एम. कलीम

उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए

उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

कब वो सुनता है कहानी मेरी

कब वो सुनता है कहानी मेरी हामिद अली ख़ान

क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख कर

क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख कर ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

कहूँ जो हाल तो कहते हो मुद्दआ' कहिए

कहूँ जो हाल तो कहते हो मुद्दआ' कहिए सी एच आत्मा

कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया

कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया

कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया रुना लैला

कार-गाह-ए-हस्ती में लाला दाग़-सामाँ है

कार-गाह-ए-हस्ती में लाला दाग़-सामाँ है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो

किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो एम. कलीम

किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो

किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो शैली कपूर

की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं

की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं मेहरान अमरोही

कोई उम्मीद बर नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती भारती विश्वनाथन

कोई उम्मीद बर नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती बेगम अख़्तर

कोई उम्मीद बर नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती अज्ञात

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है मेहरान अमरोही

ग़ुंचा-ए-ना-शगुफ़्ता को दूर से मत दिखा कि यूँ

ग़ुंचा-ए-ना-शगुफ़्ता को दूर से मत दिखा कि यूँ कुमार मुख़र्जी

ग़ुंचा-ए-ना-शगुफ़्ता को दूर से मत दिखा कि यूँ

ग़ुंचा-ए-ना-शगुफ़्ता को दूर से मत दिखा कि यूँ ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ग़म खाने में बूदा दिल-ए-नाकाम बहुत है

ग़म खाने में बूदा दिल-ए-नाकाम बहुत है ज़िया मोहीउद्दीन

ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की

ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज

गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

घर जब बना लिया तिरे दर पर कहे बग़ैर

घर जब बना लिया तिरे दर पर कहे बग़ैर भारती विश्वनाथन

जुज़ क़ैस और कोई न आया ब-रू-ए-कार

जुज़ क़ैस और कोई न आया ब-रू-ए-कार ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

जुनूँ की दस्त-गीरी किस से हो गर हो न उर्यानी

जुनूँ की दस्त-गीरी किस से हो गर हो न उर्यानी ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है मोहम्मद रफ़ी

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है शैली कपूर

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं सुधीर नारायण

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं उबैदुल्लाह अलीम

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं मलिका पुखराज

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं शाहिदा हसन

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं ग़ुलाम अली

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं नाहीद अख़्तर

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं अज्ञात

ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना बेगम अख़्तर

जिस बज़्म में तू नाज़ से गुफ़्तार में आवे

जिस बज़्म में तू नाज़ से गुफ़्तार में आवे सय्यद ताहिर हसनी

तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो

तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो मेहरान अमरोही

तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो

तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

तेरे तौसन को सबा बाँधते हैं

तेरे तौसन को सबा बाँधते हैं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले बेगम अख़्तर

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले उस्ताद बरकत अली ख़ान

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले राहत फ़तह अली

देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है

देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ अज्ञात

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ जगजीत सिंह

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ बेगम अख़्तर

दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाए हाए

दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाए हाए मलिका पुखराज

दहर में नक़्श-ए-वफ़ा वजह-ए-तसल्ली न हुआ

दहर में नक़्श-ए-वफ़ा वजह-ए-तसल्ली न हुआ ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं मेहदी हसन

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं मेहरान अमरोही

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं बेगम अख़्तर

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं असद अमानत अली

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए एम. कलीम

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए इक़बाल बानो

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए इक़बाल बानो

दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया

दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया

दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया सुंबुल राजा

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई कुंदन लाल सहगल

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई मुनव्वर सुल्ताना

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई भारती विश्वनाथन

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ शैली कपूर

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ शुमोना राय बिस्वास

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ आबिदा परवीन

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ जगजीत सिंह

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ अज्ञात

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ अज्ञात

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है अज्ञात

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है गायत्री अशोकन

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है कविता सेठ

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है फ़रीहा परवेज़

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है आबिदा परवीन

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है शुमोना राय बिस्वास

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है तलअत महमूद

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है तलअत महमूद

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है तलअत महमूद

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है भारती विश्वनाथन

दीवानगी से दोश पे ज़ुन्नार भी नहीं

दीवानगी से दोश पे ज़ुन्नार भी नहीं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या

दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या मेहरान अमरोही

दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या

दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या जगजीत सिंह

धमकी में मर गया जो न बाब-ए-नबर्द था

धमकी में मर गया जो न बाब-ए-नबर्द था ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता जगजीत सिंह

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने ज़िया मोहीउद्दीन

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने असद सलाहुद्दीन

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने मेहरान अमरोही

नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का

नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का तलअत महमूद

नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का

नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

नक़्श-ए-नाज़-ए-बुत-ए-तन्नाज़ ब-आग़ोश-ए-रक़ीब

नक़्श-ए-नाज़-ए-बुत-ए-तन्नाज़ ब-आग़ोश-ए-रक़ीब नाज़िश

नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच

नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

नहीं कि मुझ को क़यामत का ए'तिक़ाद नहीं

नहीं कि मुझ को क़यामत का ए'तिक़ाद नहीं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर

फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

फिर इस अंदाज़ से बहार आई

फिर इस अंदाज़ से बहार आई फ़िरदौसी बेगम

फिर इस अंदाज़ से बहार आई

फिर इस अंदाज़ से बहार आई नसीम बेगम

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है मेहरान अमरोही

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है आबिदा परवीन

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया तलअत महमूद

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया लता मंगेशकर

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया कुंदन लाल सहगल

बला से हैं जो ये पेश-ए-नज़र दर-ओ-दीवार

बला से हैं जो ये पेश-ए-नज़र दर-ओ-दीवार ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना अज्ञात

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना शुमोना राय बिस्वास

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे मेहरान अमरोही

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे जगजीत सिंह

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे सुरैया

बिसात-ए-इज्ज़ में था एक दिल यक क़तरा ख़ूँ वो भी

बिसात-ए-इज्ज़ में था एक दिल यक क़तरा ख़ूँ वो भी ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें

मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें कुंदन लाल सहगल

मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें

मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें एम. कलीम

मज़े जहान के अपनी नज़र में ख़ाक नहीं

मज़े जहान के अपनी नज़र में ख़ाक नहीं उस्ताद अमानत अली ख़ान

मज़े जहान के अपनी नज़र में ख़ाक नहीं

मज़े जहान के अपनी नज़र में ख़ाक नहीं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए भूपिंदर सिंह

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए इक़बाल बानो

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए नूर जहाँ

महरम नहीं है तू ही नवा-हा-ए-राज़ का

महरम नहीं है तू ही नवा-हा-ए-राज़ का ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

मिलती है ख़ू-ए-यार से नार इल्तिहाब में

मिलती है ख़ू-ए-यार से नार इल्तिहाब में अली रज़ा

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता भारती विश्वनाथन

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता बेगम अख़्तर

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता हबीब वली मोहम्मद

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अज्ञात

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता फ़रीहा परवेज़

रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है

रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो सुरैया

रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए

रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए लता मंगेशकर

लरज़ता है मिरा दिल ज़हमत-ए-मेहर-ए-दरख़्शाँ पर

लरज़ता है मिरा दिल ज़हमत-ए-मेहर-ए-दरख़्शाँ पर ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

लाज़िम था कि देखो मिरा रस्ता कोई दिन और

लाज़िम था कि देखो मिरा रस्ता कोई दिन और ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

वाँ पहुँच कर जो ग़श आता पए-हम है हम को

वाँ पहुँच कर जो ग़श आता पए-हम है हम को ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो

वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब तो दे

वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब तो दे उस्ताद बरकत अली ख़ान

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ जगजीत सिंह

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ मेहरान अमरोही

शौक़ हर रंग रक़ीब-ए-सर-ओ-सामाँ निकला

शौक़ हर रंग रक़ीब-ए-सर-ओ-सामाँ निकला एजाज़ हुसैन हज़रावी

सताइश-गर है ज़ाहिद इस क़दर जिस बाग़-ए-रिज़वाँ का

सताइश-गर है ज़ाहिद इस क़दर जिस बाग़-ए-रिज़वाँ का ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

सद जल्वा रू-ब-रू है जो मिज़्गाँ उठाइए

सद जल्वा रू-ब-रू है जो मिज़्गाँ उठाइए ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर

सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं अज्ञात

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं कमला झरिया

सरापा रेहन-इश्क़-ओ-ना-गुज़ीर-उल्फ़त-हस्ती

सरापा रेहन-इश्क़-ओ-ना-गुज़ीर-उल्फ़त-हस्ती ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है

सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है मेहदी हसन

सिम्राट छाबरा

सिम्राट छाबरा सिम्राट छाबरा

है आरमीदगी में निकोहिश बजा मुझे

है आरमीदगी में निकोहिश बजा मुझे ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और

है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

हुई ताख़ीर तो कुछ बाइस-ए-ताख़ीर भी था

हुई ताख़ीर तो कुछ बाइस-ए-ताख़ीर भी था फ़रीदा ख़ानम

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले एम. कलीम

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले अज्ञात

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले फ़्रांसेस डब्ल्यू प्रीचेट

हम पर जफ़ा से तर्क-ए-वफ़ा का गुमाँ नहीं

हम पर जफ़ा से तर्क-ए-वफ़ा का गुमाँ नहीं मेहदी हसन

हम रश्क को अपने भी गवारा नहीं करते

हम रश्क को अपने भी गवारा नहीं करते शिशिर पारखी

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है अज्ञात

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है फ़रीहा परवेज़

हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं

हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं मेहरान अमरोही

हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं

हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं हबीब वली मोहम्मद

हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं

हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं मेहदी हसन

हरीफ़-ए-मतलब-ए-मुश्किल नहीं फ़ुसून-ए-नियाज़

हरीफ़-ए-मतलब-ए-मुश्किल नहीं फ़ुसून-ए-नियाज़ ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या

हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या मेहनाज़ बेगम

हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द

हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द

हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द मेहदी हसन

हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द

हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द बेगम अख़्तर

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कुंदन लाल सहगल

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई शुमोना राय बिस्वास

उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए

उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किए मेहदी हसन

कोई उम्मीद बर नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती लता मंगेशकर

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है मुन्नी बेगम

ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना मोहम्मद रफ़ी

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले इक़बाल बानो

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ मोहम्मद रफ़ी

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए मोहम्मद रफ़ी

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई राहत फ़तह अली

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने जद्दनबाई

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए मोहम्मद रफ़ी

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता इक़बाल बानो

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं हिना नसरुल्लाह

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है कुंदन लाल सहगल

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक विविध

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई कुंदन लाल सहगल

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से नूर जहाँ

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले नूर जहाँ

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ बेगम अख़्तर

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है पीनाज़ मसानी

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने कुंदन लाल सहगल

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे मोहम्मद रफ़ी

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है विविध

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक बेगम अख़्तर

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से

कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से लता मंगेशकर

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ शफ़क़त अमानत अली

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने आबिदा परवीन

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता उस्ताद अमानत अली ख़ान

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता चित्रा सिंह

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