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मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस

1766 - 1855 | लखनऊ, भारत

अवध के नवाब, आसिफ-उद-दौला के ममेरे भाई, कई शायरों के संरक्षक

अवध के नवाब, आसिफ-उद-दौला के ममेरे भाई, कई शायरों के संरक्षक

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ग़ज़ल

क्या मज़ा हो जो किसी से तुझे उल्फ़त हो जाए

नोमान शौक़

जंगलों में जुस्तुजू-ए-क़ैस-ए-सहराई करूँ

नोमान शौक़

जवानी याद हम को अपनी फिर बे-इख़्तियार आई

नोमान शौक़

हरगिज़ न मिरे महरम-ए-हमराज़ हुए तुम

नोमान शौक़

हँसते थे मेरे हाल को जो यार देख कर

नोमान शौक़

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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