मिर्जा सआदत यार कखान रंगीं के शेर
जो तिरे पास से आता है में पूछूँ हूँ यही
क्यों जी कुछ ज़िक्र हमारा भी वहाँ रहता है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere