मोहम्मद हसन मोहसिन के शेर
तल्ख़ ओ शीरीं बे-तकल्लुफ़ जिस को पीना आ गया
मय-कशो पीना तो पीना उस को जीना आ गया
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere