noImage

मोहम्मद ज़ुबैर रूही इलाहाबादी

मोहम्मद ज़ुबैर रूही इलाहाबादी के शेर

तिरी याद में थी वो बे-ख़ुदी कि फ़िक्र-ए-नामा-बरी रही

मिरी वो निगारिश-ए-शौक़ भी कहीं ताक़ ही पे धरी रही

गई फ़स्ल-ए-गुल तो गुल रहे गुलों की जामा-दरी रही

वो रंग-ओ-बू की फ़ज़ा रही चमन की जल्वागरी रही

Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए