नवाब मोहम्मद सुफ़ अली खाँ बहादुर के शेर
मैं ने कहा कि दावा-ए-उल्फ़त मगर ग़लत
कहने लगे कि हाँ ग़लत और किस क़दर ग़लत
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere