Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Nishant Shrivastava Nayab's Photo'

निशांत श्रीवास्तव नायाब

1977 | मुंबई, भारत

निशांत श्रीवास्तव नायाब के शेर

909
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

धूप झुमके पे जब पड़ी उस के

डर के सूरज ने फेर ली आँखें

चूड़ियाँ क्यूँ उतार दीं तुम ने

सुब्हें कितनी उदास रहती हैं

कोई ऐसी दवा दे चारा-गर

भूल जाऊँ मैं आश्ना चेहरे

हम उदासी के परस्तार सही

हँसते चेहरों को दुआ देते हैं

हिफ़ाज़त हर किसी की वो बड़ी ख़ूबी से करता है

हवा भी चलती रहती है दिया भी जलता रहता है

रात अब अपने इख़्तिताम पे है

एहतिरामन दिए बुझा दीजे

मैं एक पल में अँधेरे से हार जाऊँगा

तमाम उम्र चराग़ों के बीच गुज़री है

सिवा उस के कोई और मेरा दोस्त बन पाए

वो इस डर से ज़माना में मुझे बदनाम करता है

छाते मतलब खो देते हैं

क्यों इतनी बारिश होती है

मेरे ग़म मुझ से ये पूछा करते हैं

घर में पंखा है तो रस्सी भी होगी

एक भी पत्थर आया राह में

नींद में हम उम्र भर चलते रहे

जिस की दस्तक में बे-यक़ीनी हो

ऐसे मेहमान से नहीं मिलना

जुनूँ को ढाल बनाया तो बच गए वर्ना

ये ज़िंदगी हमें मजबूर कर भी सकती थी

धूप बिस्तर तलक चली आई

फिर भी तकिए पे है नमी बाक़ी

खुलते खुलते मुझ पे खुला ये

मैं भी दुनिया के जैसा हूँ

वो चाहते हैं कि मंज़िल का ज़िक्र तो आए

मगर कहानी से रस्ता हटा लिया जाए

ये इश्क़ ही था जिस से मिली शोहरतें तुम्हें

वर्ना तुम्हारा शहर तुम्हें जानता था

ब-ज़ाहिर दश्त की जानिब तो बढ़ता जा रहा है

मगर सब रास्ते भी याद करता जा रहा है

Recitation

बोलिए