प्रताप सोमवंशी के शेर
अम्माँ की बातों में आँखें सुख-दुख सपने सब तो हैं
राम-कहानी उस के पास कबिरा-बानी उस के पास
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लक्ष्मण-रेखा भी आख़िर क्या कर लेगी
सारे रावण घर के अंदर निकलेंगे
राम तुम्हारे युग का रावन अच्छा था
दस के दस चेहरे सब बाहर रखता था
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टैग : सूरत शायरी
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