सैफ़ी सिरोंजी के दोहे
अपनी ख़ुशियाँ भूल जा सब का दर्द ख़रीद
'सैफ़ी' तब जा कर कहीं तेरी होगी ईद
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टैग : ईद
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हर महफ़िल में जा मगर इतनी कर ले जाँच
ख़ुद्दारी पर भूल कर आए कभी न आँच
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मैं हूँ इक ज़र्रा मगर ऊँची मेरी ज़ात
मेरे आगे कुछ नहीं तारों की औक़ात
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कैसा हर दम शोर है कैसी चीख़-पुकार
दो दिन की है ज़िंदगी हँस कर इसे गुज़ार
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