aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
noImage

शाह आसिम

शाह आसिम

ग़ज़ल 22

अशआर 7

काफ़िर-ए-इश्क़ हुआ जब से मैं इस दहर में हूँ

है मिरे कुफ़्र से ये दीन और ईमाँ नाज़ाँ

आईना ले के देख ज़रा अपने हुस्न को

आएगी ये बहार-ए-गुलिस्ताँ ख़िज़ाँ में याद

  • शेयर कीजिए

इस्लाम और कुफ़्र हमारा ही नाम है

काबा कुनिश्त दोनों में अपना मक़ाम है

ला-मकाँ है वास्ते उन की मक़ाम-ए-बूद-ओ-बाश

गो ब-ज़ाहिर कहने को कलकत्ता और लाहौर है

देख कर मुझ को तुझे क्यूँ है तहय्युर नासेह

मशरब-ए-इश्क़ है ये मज़हब-ए-इस्लाम नहीं

पुस्तकें 1

 

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए