Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
noImage

शाकिर कलकत्तवी

1914 - 1968

शाकिर कलकत्तवी

ग़ज़ल 3

 

अशआर 4

ये माजरा-ए-मोहब्बत समझ में सका

वो हाथ आए तो मैं हाथ उन्हें लगा सका

  • शेयर कीजिए

रोने के बदले अपनी तबाही पे हँस दिया

'शाकिर' ने इस तरह गिला-ए-आसमाँ किया

  • शेयर कीजिए

क़सम ही नहीं है फ़क़त इस का शेवा

तग़ाफ़ुल भी है एक अंदाज़ उस का

  • शेयर कीजिए

ज़रा चश्म-ए-करम से देख लो तुम

सहारा ढूँढता हूँ ज़िंदगी का

  • शेयर कीजिए

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए