aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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सय्यद सरोश आसिफ़

ग़ज़ल 25

अशआर 2

उस के हाथ में ग़ुब्बारे थे फिर भी बच्चा गुम-सुम था

वो ग़ुब्बारे बेच रहा हो ऐसा भी हो सकता है

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दर्द घनेरा हिज्र का सहरा घोर अंधेरा और यादें

राम निकाल ये सारे रावन मेरी राम कहानी से

 

चित्र शायरी 1

 

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