ज़हरा क़रार के शेर
तुम्हारा बैग भी तय्यार कर के रक्खा है
अकेली हिज्र के आज़ार क्यों उठाऊँ मैं
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तेरी टेंशन में पीना भूल गई
चाय तो सामने रखी हुई थी
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टैग : चाय
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