विभाजन पर मंटो की 10 लोकप्रिय कहानियाँ
विभाजन को विषय बना कर
लगभग हर कथाकार ने कुछ न कुछ लिखा है। लेकिन मंटो ने विभाजन पर जो कुछ लिखा वो उर्दू कहानियों में मिसाल की हैसियत रखता है। उनकी चुनिन्दा दस कहानियां जो यहाँ पेश की गई हैं उन्हें पढ़ कर आप बख़ूबी अंदाज़ा लगा सकेंगे कि मंटो सियासतदानों की रणनीतियों से कितने परिचित थे और विभाजन ने लोगों को कैसे प्रभावित किया था। आपसी मुहब्बत और भाई चारगी को नज़रअंदाज कर के किस तरह इंसान निर्दयी हो गया था।
यज़ीद
करीम दादा एक ठंडे दिमाग़ का आदमी है जिसने तक़सीम के वक़्त फ़साद की तबाहियों को देखा था। हिन्दुस्तान-पाकिस्तान जंग के तानाज़ुर में यह अफ़वाह उड़ती है कि हिन्दुस्तान वाले पाकिस्तान की तरफ़ आने वाले दरिया का पानी बंद कर रहे हैं। इसी बीच उसके यहाँ एक बच्चे का जन्म होता है जिसका नाम वह यज़ीद रखता है और कहता है कि उस यज़ीद ने दरिया बंद किया था, यह खोलेगा।
सआदत हसन मंटो
सहाय
भारत विभाजन के परिणाम स्वरूप होने वाले दंगों और उनमें मानव रक्त की बर्बादी को बयान करती हुई कहानी है। जिसमें एक हिंदू नौजवान (जो बंबई में रहता है) के चचा का कराची में क़त्ल हो जाता है तो वो मुसलमान दोस्त से कहता है कि अगर यहाँ फ़साद शुरू हो गए तो मुम्किन है कि मैं तुम्हें क़त्ल कर डालूं। इस जुमले से मुसलमान दोस्त को बहुत सदमा पहुँचता है और वो पाकिस्तान चला जाता है )लेकिन जाने से पहले वो सहाय नामी दलाल की कहानी सुनाता है जो हर तरह के धार्मिक पूर्वा-ग्रहों से मुक्त सिर्फ़ एक इंसान था। (ये मंटो के साथ पेश आने वाली वास्तविक घटना पर आधारित कहानी है।
सआदत हसन मंटो
आख़िरी सल्यूट
हिन्दुस्तान की आज़ादी के बाद कश्मीर के लिए दोनों मुल्कों में होने वाली पहली जंग के दृश्यों को प्रस्तुत किया गया है कि किस तरह दोनों देश की सेना भावनात्मक रूप से एक दूसरे के अनुरूप हैं लेकिन अपने-अपने देश के संविधान और क़ानून के पाबंद होने की वजह से एक दूसरे पर हमला करने पर विवश हैं। वही लोग जो विश्व-युद्ध में एकजुट हो कर लड़े थे वो उस वक़्त अलग-अलग देश में विभाजित हो कर एक दूसरे के ख़ून के प्यासे हो गए।
सआदत हसन मंटो
ख़ुदा की क़सम
विभाजन के दौरान अपनी जवान और ख़ूबसूरत बेटी के गुम हो जाने के ग़म में पागल हो गई एक औरत की कहानी। उसने उस औरत को कई जगह अपनी बेटी को तलाश करते हुए देखा था। कई बार उसने सोचा कि उसे पागलख़ाने में भर्ती करा दे, पर न जाने क्या सोच कर रुक गया था। एक दिन उस औरत ने एक बाज़ार में अपनी बेटी को देखा, पर बेटी ने माँ को पहचानने से इनकार कर दिया। उसी दिन उस व्यक्ति ने जब उसे ख़ुदा की क़सम खाकर यक़ीन दिलाया कि उसकी बेटी मर गई है, तो यह सुनते ही वह भी वहीं ढेर हो गई।
सआदत हसन मंटो
अंजाम बख़ैर
विभाजन के दौरान हुए दंगों में दिल्ली में फँसी एक नौजवान वेश्या की कहानी है। दंगों में क़त्ल होने से बचने के लिए वह पाकिस्तान जाना चाहती है, लेकिन उसकी बूढ़ी माँ दिल्ली नहीं छोड़ना चाहती। आख़िर में वह अपने एक पुराने उस्ताद को लेकर चुपचाप पाकिस्तान चली जाती है। वहाँ पहुँचकर वह शराफ़त की ज़िंदगी गुज़ारना चाहती है। मगर जिस औरत पर भरोसा करके वह अपना नया घर आबाद करना चाहती थी, वही उसका सौदा किसी और से कर देती है। वेश्या को जब इस बात का पता चलता है तो वह अपने घुँघरू उठाकर वापस अपने उस्ताद के पास चली जाती है।
सआदत हसन मंटो
शहीद-साज़
यह गुजरात के एक बनिये की कहानी है जो विभाजन के बाद पाकिस्तान जाकर अलॉटमेंट का धंधा करने लगता है। इस धंधे में उसने काफ़ी दौलत कमाई थी। इसी बीच उसे ग़रीबों की मदद करने का ख़याल आया। इसके लिए उसने कई तरह की तरकीबें सोचीं, पर सब बेसूद। आख़िर में उसने एक मौलाना की तक़रीर सुनी जो भगदड़ में मरने वालों को शहीद बता रहा था। मौलाना की उस तक़रीर का उस पर ऐसा असर हुआ कि उसने लोगों को शहीद करने का ठेका ले लिया।
सआदत हसन मंटो
टेटवाल का कुत्ता
कहानी में मुख्य रूप से हिन्दुस्तानियों और पाकिस्तानियों के बीच की धार्मिक घृणा और पूर्वाग्रह को दर्शाया गया है। कुत्ता जो कि एक बेजान जानवर है, हिन्दुस्तानी फ़ौज के सिपाही केवल मनोरंजन के लिए उस कुत्ते का कोई नाम रखते हैं और वह नाम लिख कर उसके गले में लटका देते हैं। जब वो कुत्ता पाकिस्तान की सरहद की तरफ़ आता है तो पाकिस्तानी सैनिक उसे कोई कोड-वर्ड समझ कर सतर्क हो जाते हैं। दोनों तरफ़ के सैनिकों की ग़लत-फ़हमी के कारण उस कुत्ते पर गोली चला देते हैं।
सआदत हसन मंटो
टोबा टेक सिंह
इस कहानी में प्रवासन की पीड़ा को विषय बनाया गया है। देश विभाजन के बाद जहां हर चीज़ का आदान-प्रदान हो रहा था वहीं क़ैदीयों और पागलों को भी स्थानान्तरित करने की योजना बनाई गई। फ़ज़लदीन पागल को सिर्फ़ इस बात से सरोकार है कि उसे उसकी जगह 'टोबा टेक सिंह' से जुदा न किया जाये। वो जगह चाहे हिन्दुस्तान में हो या पाकिस्तान में। जब उसे जबरन वहां से निकालने की कोशिश की जाती है तो वह एक ऐसी जगह जम कर खड़ा हो जाता है जो न हिन्दुस्तान का हिस्सा है और न पाकिस्तान का और उसी जगह पर एक ऊँची चीख़ के साथ औंधे मुँह गिर कर मर जाता है।
सआदत हसन मंटो
मूत्री
इस कहानी में देश विभाजन से ज़रा पहले की स्थिति को चित्रित किया गया है। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दोनों के विरुद्ध मूत्रालय में अलग-अलग जुमले लिखे मिलते थे। मुसलमानों की बहन का पाकिस्तान मारा और हिंदुओं की माँ का अखंड हिन्दुस्तान मारा के नीचे लेखक ने दोनों की माँ का हिन्दुस्तान मारा लिख कर ये महसूस किया था कि एक लम्हे के लिए मूत्री की बदबू महक में तब्दील हो गई है।
सआदत हसन मंटो
माई नानकी
इस कहानी में भारत विभाजन के परिणाम-स्वरूप पाकिस्तान जाने वाले प्रवासियों की समस्या को बयान किया गया है। माई नानकी एक मशहूर दाई थी जो पच्चीस लोगों का ख़र्च पूरा करती थी। हज़ारों की मालियत का ज़ेवर और भैंस वग़ैरा छोड़कर पाकिस्तान आई लेकिन यहाँ उसका कोई हाल पूछने वाला नहीं रहा। तंग आकर वो ये बद-दुआ करने लगी कि अल्लाह एक बार फिर सबको प्रवासी कर दे ताकि उनको मालूम तो हो कि प्रवासी किस को कहते हैं।