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हास्य/व्यंग्य: पतरस बुख़ारी की 5 चुनिंदा तहरीरें

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हॉस्टल में पड़ना

हमने कॉलेज में ता’लीम तो ज़रूर पाई और रफ़्ता रफ़्ता बी.ए. भी पास कर लिया, लेकिन इस निस्फ़ सदी के दौरान जो कॉलेज में गुज़ारनी पड़ी, हॉस्टल में दाखिल होने की इजाज़त हमें स़िर्फ एक ही दफ़ा मिली। खुदा का यह फ़ज़ल हम पर कब और किस तरह हुआ, ये सवाल एक दास्तान

पतरस बुख़ारी

कुत्ते

इलम-उल-हैवानात के प्रोफ़ेसरों से पूछा, सलोत्रियों से द​िरयाफ़्त किया, ख़ुद सर खपाते रहे लेकिन कभी समझ में न आया कि आख़िर कुत्तों का फ़ायदा क्या है? गाय को लीजिए, दूध देती है, बकरी को लीजिए, दूध देती है और मेंगनियाँ भी। ये कुत्ते क्या करते हैं? कहने लगे

पतरस बुख़ारी

मुरीदपुर का पीर

अक्सर लोगों को इस बात का ता’ज्जुब होता है कि मैं अपने वतन का ज़िक्र कभी नहीं करता। बा’ज़ इस बात पर भी हैरान हैं कि मैं अब कभी अपने वतन को नहीं जाता। जब कभी लोग मुझसे इसकी वजह पूछते हैं तो मैं हमेशा बात टाल देता हूँ। इससे लोगों को तरह तरह के शुबहात होने

पतरस बुख़ारी

सिनेमा का इश्क़

सिनेमा का इश्क़“ उन्वान तो अ’जब हवस ख़ेज़ है। लेकिन अफ़सोस कि इस मज़मून से आप की तमाम तवक़्क़ोआत मजरूह होंगी क्यूँकि मुझे तो इस मज़मून में कुछ दिल के दाग़ दिखाने मक़सूद हैं। इससे आप ये न समझिए कि मुझे फिल्मों से दिलचस्पी नहीं या सिनेमा की मौसीक़ी और तारीकी

पतरस बुख़ारी

मैं एक मियाँ हूँ

मैं एक मियाँ हूँ। मुती-व-फ़रमां-बरदार। अपनी बीवी रौशन आरा को अपनी ज़िंदगी की हर एक बात से आगाह रखना उसूल-ए-ज़िंदगी समझता हूँ और हमेशा से इस पर कार-बन्द रहा हूँ। ख़ुदा मेरा अंजाम बख़ैर करे। चुनांचे मेरी अहलिया मेरे दोस्तों की तमाम आदात-व-ख़साएल से वाक़िफ़

पतरस बुख़ारी

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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