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Hasrat Mohani's Photo'

हसरत मोहानी

1878 - 1951 | दिल्ली, भारत

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

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Kahkashan (Documentary on Hasrat Mohani) Part 1

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ज़ाहिदा परवीन

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Ab To Uth Sakta nahin Aankho Se Bar-e-Intizar चित्रा सिंह

Shama ka jalna hai

Shama ka jalna hai कुंदन लाल सहगल

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी मेहदी हसन

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए नसीम बेगम

भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं

भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं मेहदी हसन

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम मेहदी हसन

हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया

हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया मेहदी हसन

कृष्ण

कृष्ण Jameel Gulrays

कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म दीदा-ए-तर को क्या करूँ

कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म दीदा-ए-तर को क्या करूँ मेहदी हसन

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ख़ूब-रूयों से यारियाँ न गईं ग़ुलाम अली

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए एम. कलीम

भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं

भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं अज्ञात

भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं

भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं नसीम बेगम

रोग दिल को लगा गईं आँखें

रोग दिल को लगा गईं आँखें मेहरान अमरोही

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम जगजीत सिंह

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम आबिदा परवीन

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है पीनाज़ मसानी

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