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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

इरफ़ान अहमद के शेर

नश्शा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर

हम गिर पड़े तो मौत उठा ले गई हमें

ज़ख़्म जो तू ने दिए तुझ को दिखा तो दूँ मगर

पास तेरे भी नसीहत के सिवा है और क्या

ग़म-ए-हयात ने बख़्शे हैं सारे सन्नाटे

कभी हमारे भी पहलू में दिल धड़कता था

अकेले पार उतर के बहुत है रंज मुझे

मैं उस का बोझ उठा कर भी तैर सकता था

जाने किस शहर में आबाद है तू

हम हैं बर्बाद यहाँ तेरे बाद

तर्क-ए-तअल्लुक़ात की बस इंतिहा पूछ

अब के तो मैं ने तर्क किया अपने आप को

हर लम्हा मेरे ध्यान में रहता था एक शख़्स

फिर यूँ हुआ वो ध्यान से आगे निकल गया

उजलत में आसमान से आगे निकल गया

मैं अपने ही मकान से आगे निकल गया

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