ओसामा अमीर के शेर
कब वो पैग़ाम-रसा हो कि मुझे सब्र नहीं
काकुल-ए-ख़म के लिए शे'र रक़म करता हूँ
'औरत के ख़ाल-ओ-ख़द पे बहुत दाद हो कि ये
मेरे ख़ुदा का शोहरा-ए-आफ़ाक़ शे'र है
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टैग : औरत
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