aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "متضاد"
उसी से दोस्ती भी है उसी से दुश्मनी भी हैवहीं पर आब है लेकिन वहीं पर तिश्नगी भी है
इक़्तिदार एक तरफ़ एक तरफ़ दरवेशीदोनों चीज़ें नहीं रह सकती हैं फ़नकार के साथ
किसी से दुश्मनी तेरी किसी से दोस्ती तेरीकिसी से बे-रुख़ी है तो किसी से ख़ुश-बयानी है
यहाँ चाहतें हैं वहाँ नफ़रतेंअजब ही नज़ारा है दोनों तरफ़
दोस्ती वज्ह-ए-अदावत ही सहीदुश्मनी बहर-ए-रिफ़ाक़त ही सही
दुश्मनी ही दुश्मनी है हर तरफ़आग नफ़रत की लगी है हर तरफ़
इक तरफ़ शोर ख़ाना-ए-दिल मेंअक़्ल रहती है बे-ज़बान अलग
जो दुश्मन कह रहा है सब ग़लत उस को समझते हैंहक़ीक़त में वही है बे-हक़ीक़त दास्ताँ शायद
तौर अपना है अलग ईं से अलग आँ से अलगगो किसी तौर नहीं हिकमत-ए-यज़्दाँ से अलग
जब्हा-साई से दुश्मनी है जिसेउसी के दर पे जब्हा-सा हैं हम
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