aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "azm"
पहले दिल को आस दिला कर बे-परवा हो जाता थाअब तो 'अज़्म' बिखर जाता हूँ मैं ख़ुद को बहलाने में
इसे ग़ुस्सा न समझो 'अज़्म' ये मेरे लहू मेंमुसलसल ज़ब्त करने की रिवायत रो रही है
इतने दावों से गुज़र कर ये ख़याल आता है'अज़्म' क्या तुम ने कभी हर्फ़-ए-नदामत लिक्खा
इतने दाँव से गुज़र कर ये ख़याल आता है'अज़्म' क्या तुम ने कभी हर्फ़-ए-नदामत लिख्खा
सुना रहे हो यूँ वहशत में हाल-ए-ग़म जो 'अज़्म'हुआ वो नाला-ए-दिल दर्द का बयाँ न हुआ
खड़े हैं लोग अहल-ए-ज़र के आगे सर झुकाए क्यों'अज़ीम' अपने ख़ुदा का ही सहारा जगमगाता है
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