aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "baham"
'बहर' अपनी भी फ़साहत जानते हैं अहल-ए-फ़हमदूसरे हम हैं अगर सहबान-ओ-इल एक है
'बहर' अपनी अपनी क़िस्मत है ब-शक्ल-ए-मेहर-ओ-माहज़र उसे बख़्शा उसे कासा दिया ख़ैरात का
'बहरिया' बे-अदब है बे-ईमानकि अदब है सो कुछ अजब है रे
अब तो मानूस हूँ इस दर्जा ग़मों से 'बहज़ाद'बज़्म-ए-अहबाब में भी नौहागरी मेरी है
चले साथ साथ क़दम क़दम कोई ये न समझा कि हैं बहमकभी धूप बन के लिपट गए कभी साया बन के जुदा हुए
बहम कैसे हुए हैं देखना ख़्वाब और ख़ुशबूगुज़रते मौसमों का आख़िरी तोहफ़ा खिला है
दूर हो जाइए भला किस सेयाद रहती है जब बहम अपने
बहम रह सकें किस तरह आग पानीनिभे दोस्ती क्या तुम्हारी हमारी
आहों की तमाज़त से सुलगते हैं दर-ओ-बामअब नौहा-कुनाँ होंटों पे शहनाई अता कर
क्यूँ होते हो 'बहर' तश्त-अज़-बामचिलमन छुड़वा दो सामना है
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books