aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "continent"
हम चाह कर कहीं भी ठहरने न पाएँगेये सारी काएनात बराबर सफ़र में है
चली दुनिया से हम प-ए-उक़्बाकूच भर मक़ाम करते हैं
बैठे बैठे घूमने वालादुनिया का नक़्शा मिलता है
कंट्रोल उस के लब-ए-शीरीं पे गर यूँ ही रहाखांड का शर्बत नसीब-ए-दुश्मनाँ हो जाएगा
समुंदर के किनारे मिल रहे हैंये दुनिया आब-जू होती रहेगी
न कोई नक़्श न पैकर सराब चारों तरफ़तमाम दश्त असीर-ए-अज़ाब चारों तरफ़
चनाब-ए-ग़ैज़-ओ-ग़ज़ब बस इतना ख़याल रखनाहमारी कुल काएनात इस टूटी नाव में है
नौ आसमाँ हैं सफ़हा-ए-अव्वल के नौ लुग़तकौनैन इक दो वर्क़ा है अपनी किताब का
समुंदर तक रसाई के लिए वोज़माने भर का पानी भर रहा है
चनाब-ए-ग़ैज़-ओ-ग़ज़ब बस इतना ख़याल रखनाहमारी कुल-काएनात इस टूटी नाव में है
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