aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "government"
जलते दियों में जलते घरों जैसी ज़ौ कहाँसरकार रौशनी का मज़ा हम से पूछिए
किस क़ौम के दिल में नहीं जज़्बात-ए-बराहीमकिस मुल्क पे नमरूद हुकूमत नहीं करता
गूँगे निकल पड़े हैं ज़बाँ की तलाश मेंसरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिए
ये मुल्क अपना है और इस मुल्क की सरकार अपनी हैमिली है नौकरी जब से बग़ावत छोड़ दी हम ने
जिन्हें ख़याल हो आँखों का लौट जाएँ वोअब इस के बा'द हुकूमत सफ़र में धूल की है
हम हैं ख़ामोश कि मजबूर-ए-मोहब्बत थे 'फ़राज़'वर्ना मंसूब हैं सरकार से बातें क्या क्या
आज इक दाना-ए-गंदुम के भी हक़दार नहींहम ने सदियों इन्हीं खेतों पे हुकूमत की है
दिन गुज़र जाएँगे सरकार कोई बात नहींज़ख़्म भर जाएँगे सरकार कोई बात नहीं
आप का शहर अगर बार समझता है हमेंकूच कर जाएँगे सरकार कोई बात नहीं
आप के जौर का जब ज़िक्र छिड़ा महशर मेंहम मुकर जाएँगे सरकार कोई बात नहीं
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