aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "governor"
हक़ीक़ी शा'इरी दाद-ए-सुख़न से भी हुई महरूमबिला सर-पैर वाली शा'इरी पैसा बनाती है
'सहबा' उस कूचे में न जाना शायद पत्थर बन जाओदेखो उस साहिर की गलियाँ जादू करने वाली हैं
हज़रत-ए-शैख़ ने पाबंद किया है वर्नाएक ही चीज़ मुझे लगती है पीने वाली
इन को आती है 'सहर' सिर्फ़ गरेबान-दरीउँगलियाँ कब हैं मिरी चाक को सीने वाली
ख़त हूँ मैं आख़िरी किसी 'आनिस-मुईन' कातू याद रहने वाली ग़ज़ल है 'फ़राज़' की
मोमिन बने तो क़ौम का रहबर बना दियाअन-पढ़ गंवार को भी गवर्नर बना दिया
कलकत्ता में उल्फ़त की गवर्नर है सदा इश्क़आमादा हो तू रुस्तम-ए-दस्तान समझ कर
दस-बारह छेदों से पानी फ़वारे सा पड़ता थाघर में टूटी तिल्ली वाली एक पुरानी सी छतरी
बाँध रक्खी है फ़क़त वाली-ए-तैबा से उमीदमेरी बख़्शिश उसी दरबार से वाबस्ता है
ख़ुदा के लिए फेर दो मुझ को साहबजो सरकार में कुछ न हो काम दिल का
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