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नज़्म
हिण्डोला
इसी ज़मीन पे घुटनों के बल चले होंगे
'मलिक-मोहम्मद' ओ 'रसखान' और 'तुलसी-दास'
फ़िराक़ गोरखपुरी
शेर
आया है मिरे दिल का ग़ुबार आँसुओं के साथ
लो अब तो हुई मालिक-ए-ख़ुश्की-ओ-तरी आँख
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर
नज़्म
हम्द गाती है ज़मीं
मालिक-ए-अर्ज़-ओ-समा को याद करता है जहाँ
हम्द गाती है ज़मीं तस्बीह पढ़ता आसमाँ
मोहम्मद असदुल्लाह
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दुआ (मुनाजात)
तुम जिसे चाहो उसे 'अर्श का ज़ीना दे दो
मिरी आँखों को मगर ख़्वाब-ए-मदीना दे दो
शमीम अंजुम वारसी
ग़ज़ल
बौर आया है कि इक शौक़-ए-नुमू बोलता है
गुल-ए-पुर-जोश की रग रग से लहू बोलता है
मोहम्मद ओवैस मालिक
ग़ज़ल
अजब सितम है कि तेरे हिस्से से घट रहा हूँ
मैं तेरा हो कर भी और लोगों में बट रहा हूँ
मोहम्मद ओवैस मालिक
ग़ज़ल
ज़रा से दौरानिए की उल्फ़त को जावेदाना बना रहा हूँ
मैं एक बालिश्त भर मोहब्बत से इक फ़साना बना रहा हूँ