aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",JRdD"
इलियास जूड़
पर्काशक
जॉर्ज एच. वाल्ट्ज जूनियर
लेखक
जिद्द-ओ-जहद पब्लिकेशंस
जे एंडरसन थॉमसन जूनियर
डी. एस. हेल्सी जूनियर
1919 - 2002
तब्क़ाती जिद्द-ओ-जहद पब्लिकेशन्स, लाहौर
जेम्स रौस्टन जूनियर
born.1941
सर जे-आर-सिले
1834 - 1895
फ़र्ज़ करो ये जी की बिपता जी से जोड़ सुनाई होफ़र्ज़ करो अभी और हो इतनी आधी हम ने छुपाई हो
मिरे जद हाशिम-ए-आली गए ग़़ज़्ज़ा में दफ़नाएमैं नाक़े को पिलाऊँगा मुझे वाँ तक वो ले जाए
जड़ उखड़ने से झुकाओ है मिरी शाख़ों मेंदूर से लोग समर-बार समझते हैं मुझे
चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दोआईना झूट बोलता ही नहीं
कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसेजहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे
Meri Jidd-o-Jahad
अडोल्फ हिटलर
खु़दा क्यों
विज्ञान
Be-Jad Ke Paude
सुहैल अज़ीमाबादी
सामाजिक
Aazadi-e-Hind Ki Jidd-o-Jahd Men Musalmanon Ka Hissa
अब्दुल मुनइम
भारत का इतिहास
Meri Jadd-o-Jahed
Hindustan Ki Jad-o-Jihad-e-Azadi Me Urdu Shayeri Ka Hissa
दरख़्शाँ ताजवर
Aag Ka Gola
Jadd-o-Jahed Ke Usool
लेव शावक़ी
विश्व
जवाहर लाल नेहरू जिद्द-ओ-जहद के साल
शमीम हनफ़ी
अनुवाद
Kashmeeri Musalmanon Ki Siyasi Jadd-o-Jahed
मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़
Aazadi-e-Hind Ki Jadd-o-Jehad Mein Musalmanon Ka Kirdar 1857-1947
डॉ. शौकतुल्लाह ख़ाँ
जिद्द-ओ-जह्द-ए-अाज़ादी में मज्लिस-ए-क़ानून साज़ का रोल
ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ
जिद्द-ओ-जहद-ए-आज़ादी
अन्य
Tahrik-e-Jidd-o-Jihad Bataur-e-Mauzoo-e-Sukhan
ख़्वाज़ा मंज़ूर हुसैन
Be Jad Ke Paude
नॉवेल / उपन्यास
आए हुसैन हाथ जो नन्हे से जोड़ करबे-इख़्तियार रोने लगे सय्यद-उल-बशर
मुझे बे-दस्त-ओ-पा कर के भी ख़ौफ़ उस का नहीं जाताकहीं भी हादिसा गुज़रे वो मुझ से जोड़ देता है
कब अश्कों से जुड़ सकता हैजो टूट गया सो छूट गया
ऐसे दीवारों से मुँह जोड़ के चलते हैं यहाँचूड़ी-वालान कै कटरे की बड़ी-बी जैसे
शग़्ल-ए-अर्बाब-ए-हुनर पूछते क्या हो कि ये लोगपत्थरों में भी कभी आइने जड़ जाती हैं
आँधियाँ तोड़ लिया करती थीं शम्ओं की लवेंजड़ दिए इस लिए बिजली के सितारे हम ने
दिल के टुकड़ों को कहाँ जोड़ सका है कोईफिर भी आवाज़ा-ए-आईना-गिराँ खेंचता है
वो जो मुझ में एक इकाई थी वो न जुड़ सकीयही रेज़ा रेज़ा जो काम थे मुझे खा गए
दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता हैसोच समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला
चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दोआइना झूट बोलता ही नहीं
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