aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",NeQw"
मकतबा जामिया लिमिटेड, नई दिल्ली
पर्काशक
डायरेक्टर क़ौमी कौंसिल बरा-ए-फ़रोग़-ए-उर्दू ज़बान, नई दिल्ली
ग़ालिब इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
तरक़्क़ी उर्दू ब्यूरो, नई दिल्ली
लेखक
मक्तबा पयाम-ए-तालीम, नई दिल्ली
संपादक
इस्लामिक बुक फ़ाउंडेशन, नई दिल्ली
सेनट्रल कौंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी मेडीसिन, नई दिल्ली
शाह वली-उल्लाह इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद्, नई दिल्ली
आमिर किताब घर बटला हाउस, नई दिल्ली
प्रथम बुकस, नई दिल्ली
एम. आर. पब्लिकेशंस, नई दिल्ली
तरक़्क़ी उर्दू बोर्ड, नई दिल्ली
नटराज प्रिंटर्स एण्ड पब्लिशर्स, नई दिल्ली
नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली
नेक लोगों में मुझे नेक गिना जाता हैऔर गुनहगार गुनहगार समझते हैं मुझे
मिरे अल्लाह! बुराई से बचाना मुझ कोनेक जो राह हो उस रह पे चलाना मुझ को
वो वही हैजो तुम्हारी नेक-नामी और बद-नामी की दुनिया थी
टक ग़ाफ़िल दिल में सोच ज़रा है साथ लगा तेरे दुश्मनक्या लौंडी बांदी दाई दवा क्या बंदा चेला नेक-चलन
अश्क उस के जितने टपके हैं या शाह-ए-नेक-ख़ूउतना ही घट गया है मिरे जिस्म का लहू
ग़ालिब के क़लाम में जो फ़िक्री गहराई और जज़्बात की शिद्दत है, जगजीत सिंह ने उन्हें अपनी आवाज़ देकर ऐसी फ़ज़ा क़ायम की है कि कलाम और आवाज़ के संगम में श्रोता खो सा जाए। इस चयन में ग़ालिब की वे ग़ज़लें शामिल हैं जिन्हें जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ दी है। आइए जानते हैं, ग़ालिब की वे कौन-सी ग़ज़लें हैं जिन्हें जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ से सजाया है।
नए साल की आमद को लोग एक जश्न के तौर पर मनाते हैं। ये एक साल को अलविदा कह कर दूसरे साल को इस्तिक़बाल करने का मौक़ा होता है। ये ज़िंदगी के गुज़रने और फ़ना की तरफ़ बढ़ने के एहसास को भूल कर एक लमहाती सरशारी में महवे हो जाता है। नए साल की आमद से वाबस्ता और भी कई फ़िक्री और जज़्बाती रवय्ये हैं, हमारा ये इंतिख़ाब इन सब पर मुश्तमिल है।
क्या आप ग़ज़ल की दुनिया में नए हैं और इस दुनिया को क़रीब से देखना चाहते हैं ? क्या आपको ऐसी ग़ज़लें पढनी हैं, जो सीधे आपके दिल तक पहुँचे? तो यहाँ हम चंद ऐसी ग़ज़लें ला रहे हैं, जिसे पढ़ कर आप एहसास की नै दुनिया में दाख़िल होंगे |
Dars-e-Balaghat
भाषा
Shumara Number-007
यूसुफ़ देहलवी
Jul 1950शमा, नई दिल्ली
Shumara Number-008
इर्तिज़ा करीम
Aug 2015उर्दू दुनिया, नई दिल्ली
Shumara Number-149
अब्दुल वहीद सिद्दीक़ी
Dec 1978हुमा, नई दिल्ली
Shumara Number-133
Aug 1977हुमा, नई दिल्ली
Shumara Number-268
ख़ालिद मुस्तफ़ा सिद्दीक़ी
हुमा, नई दिल्ली
Salnama
मुमताज फ़ाख़िरा मुजीब
फ़िक्र-ए-नौ, नई दिल्ली
Shumara Number-004
ख़्वाजा मोहम्मद इकरामुद्दीन
Apr 2015उर्दू दुनिया, नई दिल्ली
Shumara Number-261
12 years in Constructing a New Iran 1953-1964
सेनेटर अशरफ़ अहमदी
विश्व इतिहास
A New Approch To Iqbal
मोहम्मद हसन
ख़्वाजा हसन सानी निज़ामी
Apr 1973मुनादी, नई दिल्ली
Shumara Number-000
अतहर फ़ारूक़ी
Jul 2002किताब नुमा, नई दिल्ली
Shumara Number-033
Mar 1969हुमा, नई दिल्ली
गली गली में जो आवारा फिर रहा होताजहान-भर में वही नेक-नाम तुम से है
अपने किसी अमल पे नदामत नहीं मुझेथा नेक-दिल बहुत जो गुनहगार मुझ में था
बहुत नेक बंदे हैं अब भी तिरेकिसी पर तो या-रब वही भेज दे
सालगिरह पर कितनी नेक तमन्नाएँ मौसूल हुईंलेकिन इन में एक मुबारकबाद अभी तक बाक़ी है
कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ सेजफ़ाएँ कर के अपनी याद शरमा जाए है मुझ से
हर जाँ-निसार याद-दहानी में मुंहमिकनेकी का हर हिसाब दिल-ए-दोस्ताँ में है
मुबारक फाल-ए-नेक ऐ ख़ुसरव-ए-शहरमुझे फ़रहाद फ़रमाया गया है
बंदगी का हाँ इबादत नाम हैनेक-बख़्ती का सआ'दत नाम है
आप जो कुछ कहें हमें मंज़ूरनेक बंदे ख़ुदा से डरते हैं
ख़ुदा ने नेक सूरत दी तो सीखो नेक बातें भीबुरे होते हो अच्छे हो के ये क्या बद-ज़बानी है
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books