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ग़ज़ल
वो दिल जो मैं ने माँगा था मगर ग़ैरों ने पाया है
बड़ी शय है अगर उस की पशेमानी मुझे दे दो
साहिर लुधियानवी
नज़्म
इतना मालूम है!
और जब उस ने वहाँ मुझ को न पाया होगा!?
आप को इल्म है वो आज नहीं आई हैं?