aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اشیاء"
अहया भोजपुरी
born.1977
शायर
मजलिस-ए-इह्या-एसुन्ना, हैदराबाद
पर्काशक
इदारा अहया तुरास इस्लामी, कराची
अहया-ऐ-अल-सुननह,लाहौर
इशना अशरा, लाहाैर
हिन्दुस्तान को इन लीडरों से बचाओ जो मुल्क की फ़िज़ा बिगाड़ रहे हैं और अवाम को गुमराह कर रहे हैं। आप नहीं जानते मगर ये हक़ीक़त है कि हिन्दुस्तान पर ये नाम-निहाद लीडर अपनी-अपनी बग़ल में एक संदूकची दबाए फिरते हैं। जिसमें हर किसी की जेबें कुतर कर रुपया जमा...
कांट को अपनी ताबीरों पर इस क़दर एतमाद है कि उन्हें नफ़्सियात की भी रू से साबित करने की कोशिश नहीं करता, लेकिन दर-हक़ीक़त उसके नज़रियात अफ़लातून की ख़्याली ऐनियत Ideal Idealism से किसी दर्जा मुतास्सिर हैं, उसके इज़हार की ज़रूरत नहीं। बक़ौल कंथ बर्क, बस इस बात की ज़रूरत...
شاعری چونکہ وجدانی چیز ہے اس لئے اس کی جامع و مانع تعریف چند الفاظ میں نہیں کی جاسکتی، اس بنا پر مختلف طریقوں سے اس کی حقیقت کا سمجھانا زیادہ مفید ہوگا کہ ان سب کے مجموعہ سے شاعری کا ایک صحیح نقشہ پیش نظر ہو جائے۔ خدا نے...
उसके बाद इतनी बड़ी पार्टी को सजाने और खाने-पीने की अशिया को हस्ब मंशा मेज़ों पर चुन देना दूसरे कुंदनों का काम था। उन्होंने इन पार्टीयों का इंतिज़ाम हस्ब-ए-मामूल इस ख़ुश-उस्लूबी से किया जैसे मालूम नहीं कितनी देर पहले से वो इस एहतिमाम में मस्रूफ़ थे, और मालूम नहीं कैसे...
रोज़ मौलूद जहां कम ज़शब मातम नीस्त अगर ये महज़ मेरा वहम है तो ए मेरे दोस्त फिर कराची सबसे अलग-थलग कोई जगह होगी तो फिर ए दोस्त हम सबको वहां बुला लीजिए या कराची को इतना वसीअ’ कीजिए कि हम सब उसमें समा जाएं। कराची में आपने बहुत कुछ...
अश्याاشیاء
things, commodities; objects
Fehrist-e-Ashiya
अननोन ऑथर
अन्य
Sharab Aur Nasha Aawar Ashiya Ki Hurmat Wa Mazarrat
अल्लामा अहमद बिन हजर आल-ए-बूतामी
इस्लामियात
Mazaq-ul-Arifeen
इमाम मोहम्मद ग़ज़ाली
सूफीवाद दर्शन
Mazaq-ul-Aarifeen Tarjuma Ehyau Uloom-id-Deen
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
इहया-ए-उलूमिद्दीन
Ahya-e-Islam
मौलाना वहीदुद्दीन ख़ाँ
Islam Ki Akhlaqi Taleemat
शिक्षाप्रद
Mazaq-ul-Arifeen (Tarjuma Ahya-u-Uloom-id-Deen
मोहम्मद अहसन सिद्दीक़ी
मुंशी नवल किशोर के प्रकाशन
अनुवाद
Qimatein Aur Ashiya Zaruriya
Ahya-e-Millat
मोहम्मद सरफ़राज़ हुसैन अज़मी देहलवी
Ahya-ul-Uloom Urdu
Mazaq-ul-Aarfeen
غالب کی دانش ورانہ واقعیت جس میں حدود وقیود کو توڑ نکلنے کے رومانی ادا بھی ملتی ہے، ایسے ماحول کی آئینہ دار ہے جو ذہنی اور عقلی برتری کا پروردہ تھا۔ غالب کے یہاں جس ہوش مندی کی کارفرمائی ملتی ہے اس کے لیے دانش ورانہ، مبہم اور پیچیدہ...
(इन्तिखाब: मज़ामीन-ए-पतरस,मुरत्तबा; वजाहत अली संदेलवी, स 105)...
फ़य्याज़ कुछ देर गर्दन झुकाए हुए सोच में डूबा रहा। जब उसने सर उठाया तो सबसे पहले उसकी नज़र चिलमन पर पड़ी। हैदरी ख़ाँ की तरह असग़री भी उसके जवाब की मुंतज़िर थी। "ख़ाँ साहब!" उसने धीमी आवाज़ मगर फ़ैसला-कुन लहजे में कहा, "मुझे आपकी तीनों शर्तें मंज़ूर हैं। आज...
तख़लीक़ी ज़बान चार चीज़ों से इबारत है, तशबीह, पैकर, इस्तिआरा और अलामत। इस्तिआरा और अलामत से मिलती जुलती और भी चीज़ें हैं, मसलन तमसील Allegory, Sign, निशानी Embelm वग़ैरा। लेकिन ये तख़लीक़ी ज़बान के शराइत नहीं हैं, औसाफ़ हैं। उनका न होना ज़बान के ग़ैर तख़लीक़ी होने की दलील नहीं।...
انسان کے علاوہ کوئی دوسرا جانور حقیقی معنی میں سماجی حیوان بھی نہیں ہے۔ بھیڑوں کے گلے، ہرنوں کی ڈاریں اور مرغابیوں کے جھنڈ بظاہر سماجی وحدت نظر آتے ہیں لیکن دراصل ان میں کوئی سماجی رابطہ نہیں ہوتا۔ وہ ایک ساتھ رہتے ہوئے بھی الگ الگ اکائیاں ہیں۔ وہ...
‘ग़ालिब’ तहसीन के अंदाज़ में लिखते हैं कि “याद रखना फ़साने के वास्ते कितना मुनासिब है।” इसी मुनासिबत को ‘ग़ालिब’ ने अब्दुल ग़फ़ूर सुरूर के ख़त में “रिआ'यत-ए-फ़न“ के नाम से याद किया है। अल्फ़ाज़ को आपस में मुनासिब होना चाहिए। फ़न की रिआ'यत से मुराद है वो चीज़ें, फ़न...
अभी टुक रोते-रोते सो गया है हमने उनके ग़ुस्से को ताड़ कर माफ़ी माँग ली और चुप हो रहे। बाद में उनके घर की अश्या पर जो नज़र डाली तो हर शय शेर में लत-पत नज़र आई। फिर बहुत दिनों बाद पता चला कि शाइर मौसूफ़ की जो ग़ज़लें मुख़्तलिफ़...
اور متحد اشیاء سے مختلف خاصیتیں استنباط کرنے کی مثال میر ممنون کا یہ شعر ہے، تفاوت قامت یارو قیامت میں ہے یہ ممنوں...
بھوندو اس چوٹ سے تلملا اٹھا۔ اس کی رگیں تن گئیں۔ پیشانی پر بل پڑگئے۔ بنٹی کا منھ وہ ایک ڈپٹ میں بند کرسکتاتھا مگر اس نے یہ نہ سیکھا تھا، جس کی طاقت کی سارے کنجڑوں میں دھاک بیٹھی ہوئی تھی، جو تنِ تنہا سو پچاس نوجوانوں کا نشہ...
بیٹھا تو گرا، گرا تو بے ہوش خدا نے خیر کی، ورنہ بیچ میں اگر گڑھا حائل نہ ہوتا تو خان صاحب بندوق کے دھکے سےاس پار نہ جانے کتنی دور پتھروں میں جا کر گرتے۔ بھونچال ہی گو آ گیا۔ فضا میں دور دور کاغذ کے پرزے، سگرٹ کی...
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