aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "املے"
हिमल पंड्या
born.1971
शायर
अमला-ए-इदारत
संपादक
डेनिस हीले
लेखक
मकतबा-ए-इल्म-ओ-अमल, दिल्ली
पर्काशक
मकतबा अज़म-ओ-अमल, कराची
दावते फ़िक्र-ओ-अमल, लाहौर
जाड़े के दिन थे। रात का वक़्त नमक के बर्क़-अन्दाज़ चौकीदार शराबख़ाने के दरबान बने हुए थे। बंसीधर को अभी यहाँ आए हुए छ: माह से ज़्यादा नहीं हुए थे लेकिन इस अर्से में उनकी फ़र्ज़-शनासी और दयानत ने अफ़सरों का एतिबार और पब्लिक की बे-एतिबारी हासिल कर ली थी।...
मियाँ जवाहर लाल, ख़ुश फ़िक्र-ओ-ख़ुश-ख़िसाल जुग-जुग जियो, ता-क़यामत आब-ए-हयात पियो। सुनो साहब! इमाम-उल-हिंद मौलाना अबुल कलाम आज़ाद आए हैं और अपने हमराह दो नुस्खे़ दीवान-ए-ग़ालिब के लाए हैं, जो मुझे अभी मौसूल हुए हैं। एक नुस्ख़ा अली सरदार जाफ़री ने तर्तीब दिया है। दूसरा अर्शी रामपुरी ने मुरत्तब किया है।...
انھیں بچوں سے خاص رغبت نہ تھی ’’چھوڑو یار، عورتوں کا محکمہ ہے۔‘‘ لیکن قریب قریب ہر چھٹی کے دن ہمارے اور تاثیر صاحب کے بچوں سے ’’لاج‘‘ میں آنکھ مچولی کھیلتے، ان کے لئے نئے نئے کھیل ایجاد کر تے، گیت گاتے اور کہانیاں سناتے۔ وہ بوڑھوں سے اور...
चोरी-चकारी, डकैती और रहज़नी, जेबतराशी और जालसाज़ी, पत्ते बाज़ी और ब्लैक मार्केटिंग वग़ैरा, अफ़आल-ए-क़बीहा के बजाय फ़ुनून-ए-लतीफ़ा में शुमार होने चाहिऐं। इन लतीफ़ फ़ुनून के साथ अब तक जो बुरा सुलूक रवा रखा गया है उसकी मुकम्मल तलाफ़ी इस यूनीयन का नस्ब-उल-ऐन है। ऐसे ही कई और अग़राज़-ओ-मक़ासिद थे जो...
मगर दो-चार दिन के बाद बूढ़ी मेहतरानी के देवर का लड़का राम रत्ती अपनी ताई से मिलने आया, और फिर वहीं रह पड़ा। दो-चार कोठियों में काम बढ़ गया था सो वो भी उसने सँभाल लिया। अपने गाँव में आवारा तो घूमता था। उसकी बहू अभी नाबालिग़ थी। इसलिए गौना...
शेर-ओ-अदब के समाजी सरोकार भी वाज़ेह रहे हैं और शायरों ने इब्तिदा ही से अपने आप पास के मसाएल को शायरी का हिस्सा बनाया है अल-बत्ता एक दौर ऐसा आया जब शायरी को समाजी इन्क़िलाब के एक ज़रिये के तौर पर इख़्तियार किया गया और समाज के निचले, गिरे पड़े और किसान तबक़े के मसाएल का इज़हार शायरी का बुनियादी मौज़ू बन गया। आप इन शेरों में देखेंगे कि किसान तबक़ा ज़िंदगी करने के अमल में किस कर्ब और दुख से गुज़र्ता है और उस की समाजी हैसियत क्या है।किसानों पर की जाने वाली शायरी की और भी कई जहतें है। हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए।
शायर और रचनाकारों की कल्पना-शक्ति ने बदन की साधारण और सामान्य क्रियाओं को भी हुस्न के दिलचस्प आख्यान में रूपांतरित कर दिया है । असल में अंगड़ाई बदन की साधारण और सामान्य क्रियाओं में से एक है लेकिन शायरों ने अलग से इसके सौन्दर्यशास्त्र की पूरी किताब लिख दी है और अपने ज़हन की ज़रख़ेज़ी और उर्वरता का अदभूत एवं अद्भुत सबूत दिया है । अंगड़ाई के संदर्भ में उर्दू शायरी के कुछ हिस्से तो ऐसे हैं कि मानोअंगड़ाई ही हुस्न की पूरी तस्वीर हो । अपने महबूब की अंगड़ाई का नज़ारा और उसकी तस्वीर बनाती हुई चुनिंदा शायरी का एक संकलन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है ।
दुनिया को हम सबने अपनी अपनी आँख से देखा और बर्ता है इस अमल में बहुत कुछ हमारा अपना है जो किसी और का नहीं और बहुत कुछ हमसे छूट गया है। दुनिया को मौज़ू बनाने वाले इस ख़ूबसूरत शेरी इन्तिख़ाब को पढ़ कर आप दुनिया से वाबस्ता ऐसे इसरार से वाक़िफ़ होंगे जिन तक रसाई सिर्फ़ तख़्लीक़ी अज़हान ही का मुक़द्दर है। इन अशआर को पढ़ कर आप दुनियाँ को एक बड़े सियाक़ में देखने के अहल होंगे।
Mashshatagan-e-Adab
अताउल्लाह पालवी
डायरेक्ट्री
Jamia Millia Islamia Ke Ghair Tadrisi Amle Ki Adabi Khidmat
रिज़वान लतीफ़ खान
Urdu Imla
रशीद हसन ख़ाँ
नॉन-फ़िक्शन
उर्दू इमला और रस्म-उल-ख़त
फ़रमान फ़तेहपुरी
भाषा
उर्दू इमला-ओ-क़वाइद
उर्दू इम्ला-ओ-रुमूज़-ए-औक़ाफ़
गौहर नौशाही
Jadeed Urdu Nazm Nazaria-o-Amal
अक़ील अहमद सिद्दीक़ी
शोध
Islah-e-Talaffuz Wa Imla
तालिब अल-हाश्मी
अमली तन्क़ीद
कलीमुद्दीन अहमद
आलोचना
Tanqeed Aur Amali Tanqeed
सय्यद एहतिशाम हुसैन
Tarjume Ke Fanni Aur Amali Mabahis
मशावर्ती कमेटी
अनुवाद
Maidan-e-Amal
प्रेमचंद
फ़िक्शन
Imla Nama
गोपी चंद नारंग
Amali Tanqeed
तरन्नुम मुशताक़
Dilruba
क़ुर्रतुलऐन हैदर
उपन्यास
ख़ुदा की क़सम आज तो मेरा सीना भी जारी हो रहा है। "वाह, क्या बात है मेरे मौला की।" अब्दुल-करीम ने अपने अग़ल-बग़ल बैठे हुए मुसाफ़िरों के साथ बड़े जोश-ओ-ख़रोश से हाथ मिलाना और गूँज-गूँज कर अस्सलाम-ओ-अलैकुम कहना शुरू कर दिया।...
उन्ही दिनों बक़रईद का तेहवार आया। नाना जी के पास चंद रुपये जमा हो गए थे। उन्होंने माँ जी को तीन आने बतौर ईदी दिये। ज़िंदगी में पहली बार माँ जी के हाथ इतने पैसे आए थे। उन्होंने बहुत सोचा लेकिन उस रक़म का कोई मसरफ़ उनकी समझ में न...
झिड़कियाँ सुन के उधर हम को इधर डाँटते होअपनी घर वाली का अ'मले पे वबाल अच्छा है
“बस, तो चलो मेरे साथ, अभी!”, उन्होंने कहा, “एक असामी ख़ाली है।” दारोग़ा उसी वक़्त मुझे बादशाह मंज़िल के दफ़्तरों में ले गए। कई जगह मेरा नाम और हुल्या वग़ैरह दर्ज किया गया। ज़मानती की जगह दारोग़ा ने अपना नाम लिखवाया। फिर हम लक्खी दरवाज़े पर पहुँचे। यहाँ सरकारी अ’मले...
پے درپے جھٹکوں نے عمانوئیل کو ذہنی طور پر شکست خوردہ اور عملی طور پر ناکارہ بنا دیا تھا۔ وہ اپنے باپ سے چھپاکر افیون کا نشہ کرتا تھا۔ اب کوئی روک ٹوک نہ تھی لیکن وسائل بھی نہ تھے۔ عمانوئیل نے بے تکلف لبیبہ کے چھوٹے موٹے زیوروں اور...
लतिका रानी का नाम आते ही आँखों के सामने, टख़्नों से बहुत उंचा घघरा पहने, खींच कर ऊपर की हुई नन्ही मुन्नी चोटी वाली, मुख़्तसर क़द की एक छोटी सी लड़की आ जाती थी जो मिट्टी के छोटे छोटे घरौंदे बनाने या बकरी के मासूम बच्चे के साथ खेलने में...
डाक्टर साहब तरक़्क़ी पा कर हैदराबाद चले गए। उनकी ख़िदमत का दूसरा इंतज़ाम हो गया। कुछ दिनों बाद डाक्टर साहब नाज़िम-ए-तालीमात हो गए और मैं उनकी इनायत से सद्र-ए-मोहतमिम, तालीमात हो कर औरंगाबाद आया। डाक्टर साहब ही ने मुझे नूर ख़ां से मिलाया और उनकी सिफ़ारिश की। डाक्टर साहब ने...
अचानक उसने लाठी फेंक दी और भीड़ को चीरती हुई मुसाफ़िरों के सामने आ खड़ी हुई। जैसे लाठी के साथ ही उसने बुढ़ापे और दुख के बोझ को फेंक दिया हो। वो एक पल अक़ीदत मंदाना आँखों से आज़ादी के सिपाहीयों की तरफ़ तकती रही। जैसे वो उनकी ताक़त को...
ہمالیہ اور شوالک کی درمیانی وادیاں ’ڈون‘ کہلاتی ہیں (جن میں سے ایک دہرہ دون ہے) سوا سو مربع میل پر پھیلا ہوا کوربٹ نیشنل پارک بھی ضلع نینی تال کی ایک ڈون میں واقع ہے۔ رام گنگا پہاڑوں سے اتر کر کوربٹ نیشنل پارک میں داخل ہوتی ہے۔ اس...
ہمارے پاؤں تلے سے سارا کیریر نکل گیا۔ شبانہ روز کی محنت پر پانی کیا چیز ہے، پورا بحیرۂ عرب پھرتا نظر آیا۔ تین چار دن بعد کرید سی ہوئی کہ لاکھ سزاوارِ نکوہش سہی، آخر دیکھنا تو چاہیے ڈائری میں لکھا کیا ہے۔ چنانچہ سنیچر کی رات کو ۱۱...
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books