aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اپریل"
इम्पीरियल प्रेस,दिल्ली
पर्काशक
कहते हैं कि नौ अप्रैल की शाम को डाक्टर सत्यपाल और डाक्टर किचलू की जिला वतनी के अहकाम डिप्टी कमिशनर को मिल गए थे। वो उनकी तामील के लिए तैयार नहीं था। इसलिए कि उसके ख़याल के मुताबिक़ अमृतसर में किसी हैजानख़ेज बात का ख़तरा नहीं था। लोग पुरअम्न तरीक़े...
अप्रैल का महीना था। बादाम की डालियां फूलों से लद गई थीं और हवा में बर्फ़ीली ख़ुनकी के बावजूद बहार की लताफ़त आ गई थी। बुलंद-ओ-बाला तंगों के नीचे मख़मलीं दूब पर कहीं कहीं बर्फ़ के टुकड़े सपीद फूलों की तरह खिले हुए नज़र आ रहे थे। अगले माह तक...
इसके इलावा उसे उनका रंग भी बिल्कुल पसंद न था। जब कभी वो गोरे के सुर्ख़ व सपेद चेहरे को देखता तो उसे मतली आ जाती, न मालूम क्यों। वो कहा करता था कि “उन के लाल झुर्रियों भरे चेहरे देख कर मुझे वो लाश याद आ जाती है जिसके...
जानवरों में गधा सबसे बेवक़ूफ़ समझा जाता है। जब हम किसी शख़्स को परले दर्जे का अहमक़ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं। गधा वाक़ई बेवक़ूफ़ है। या उसकी सादा-लौही और इंतिहा दर्जा की क़ुव्वत-ए-बर्दाशत ने उसे ये ख़िताब दिलवाया है, इसका तस्फ़िया नहीं हो सकता। गाय शरीफ़...
जनवरी फ़रवरी मार्च में पड़ेगी सर्दीऔर अप्रैल मई जून में हो गी गर्मी
अप्रैलاپریل
April
Novel Number: April-June: Shumara Number-006
मंसूर ख़ुशतर
दरभंगा टाइम्स
April,May,June
असलम परवेज़
उर्दू अदब, दिल्ली
April: Shumara Number-004
शैख़ मोहम्मद अब्दुल्लाह
ख़ातून, अलीगढ़
Dastan Zaban-e-Urdu : April : Shumara Number-002
मौलवी अब्दुल हक़
उर्दू, कराची
March-April
सुरूर बाराबंकवी
आब-ओ-गिल, ढाका
इलियास देहलवी
Apr 1947खिलौना
April : Shumara Number-002
उर्दू, औरंगाबाद दकन
Shumara Number-001: April
मेजर अफसर जंग अफसरूद्दौला
अफ़सर
इशारिया-ए-इक़बालियात
अख़्तरुन्निसा
कैटलॉग / सूची
Iqbal Review،Pakistan
इक़बाल रिव्यू
Apr 2000उर्दू अदब, दिल्ली
Amir Khusro Number : April-May : Shumara Number-011,012
मोहम्मद हुसैन शम्स अल्वी
फ़रोग़-ए-उर्दू, लखनऊ
April-June : Shumara Number-004
ख़ालिद इक़बाल यासिर
अदबियात, इस्लामाबाद
April-June: Shumara Number-035
जावेद अनवर
तहरीक-ए-अदब
April : Shumara Number-066
शाम के वक़्त जब सेठ हुर्मुज़ जी फ्रॉम जी ऑफ़िस से निकल कर ईसा तबलची की चांदी की डिबिया से दो ख़ुशबूदार तंबाकू वाले पान अपने चौड़े कल्ले में दबा कर बिलियर्ड खेलने के कमरे का रुख़ कर रहे थे कि हमें वो लड़की नज़र आई। साँवले रंग की थी,...
आँसू पोंछ कर और दिल को मज़बूत कर के मेज़ के सामने आ बैठे। दाँत भींच लिये, नेकटाई खोल दी, आसतीनें चढ़ा लीं लेकिन कुछ समझ में न आया कि करें क्या? सामने सुर्ख़, सब्ज़, ज़र्द सभी क़िस्म की किताबों का अंबार लगा हुआ था। अब उनमें से कौन सी...
हम दिसम्बर में शायद मिले थे कहीं..!!जनवरी, फ़रवरी, मार्च, अप्रैल....
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख आबले 'अकबर'पढ़ कर जो कोई फूँक दे अप्रैल मई जून
इस गुफ़्तगू के बाद उसी शाम डॉक्टर शीदी भागे-भागे मेरे पास आए और मुझे लिपटा लिया। "ज़ेबा, ज़ेबा, मुझे मुबारकबाद दो। तुम्हारे चचा ने इज़ाज़त दे दी।" पन्द्रह दिन बाद अप्रैल के आख़िरी हफ़्ते की एक ख़ुशगवार शाम हमारा अक़्द निहायत ख़ामोशी से हो गया। शीदी कह रहे थे कि...
अजीब रुत के अजीब दिन हैंन धूप में सुख
पदमा मैरी एक ख़ामोश-तब्अ’ मेहनती लड़की थी जो बड़ी लगन से अपने फ़राइज़-ए-मंसबी अंजाम देती थी। महीने में एक-आध बार सिनेमा देख आती थी। और औक़ात-ए-फ़ुर्सत में दोस्तों को चीनी खाने पका कर खिलाना उसका मर्ग़ूब मशग़ला था। एक सैकंड हैंड कार ख़रीदने के लिए रुपया जमा’ कर रही थी।...
बोले, “अच्छा! ये बात है!” फ़ौरन बंधी हुई मुठ्ठियाँ खोल दीं। आँखें झपकाईं और फेफड़ों को अपना क़ुदरती फ़े'ल फिर शुरू करने की इजाज़त दी। हमने इस “नेचुरल पोज़” से फ़ायदा उठाने की ग़रज़ से दौड़-दौड़ कर हर चीज़ को आख़िरी “टच” दिया, जिसमें ये बंधा-टका फ़िक़रा भी शामिल था,...
“एक ज़माने में ये भी देवदारों और सनोबरों से ढके हुए थे। परबत-परबत हरियाली ही हरियाली थी। मगर बकरीयां सब चिट कर गईं। इसीलिए हुकूमत ने बकरीयों के इस्तीसाल के लिए एक महाज़ बनाया है और पूरी क़ौम ख़ंजर-ब-कफ़ हुकूमत के साथ है।” “मगर हमें तो यहां कहीं बकरीयां नज़र...
زلزلے اور اس کے بعد کی آفات و بلیات نے افراہیم کی ساری تجارت، ساری املاک غیر منقولہ اور زیادہ تر عمارات کو پامال کرکے برابر خاک کر دیا۔ جہاز ڈوب گئے، گوداموں میں رکھا ہوا مال زمیں دوز ہو گیا، یا غرق آب ہوا، یا سڑ گیا۔ خزائن، دفائن...
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