aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اگربتیاں"
मैं जब घर में दाख़िल हुआ तो अंधेरा छा चुका था। इमाम बाड़े में रौशनी हो रही थी। झाड़ फ़ानूस अपने इसी पुराने एहतिमाम से जिगर-जिगर कर रहे थे। फ़र्श पे जाजिम बिछी थी जिस पे जा-बजा सुराख़ हो रहे थे। मेज़ पर चढ़ा हुआ सिया ग़लाफ़ भी ख़ासा बोसीदा...
یعقوب کاریگر آستینیں چڑھاتا دکان میں داخل ہوا اور اپنی مخصوص نشست پر جا بیٹھا۔ اس نے اپنی ٹانگیں کرسی پر سکیڑ لیں اور مزے سے بیڑی کے کش لیتا رہا۔ بیڑی ختم ہونے پر اس نے اسے چپل کے نیچے مَسل دیا۔ اس کے بعد میز کی دراز سے...
بچے یہ محبت بھری دھونس سن کر ہنسنے لگے۔ ساتھ ہی نگہت بھی ہنسنے لگی۔ اور پھر انہوں نے دیکھا کہ ان کے کمرے سے ملا ہوا ان کا اپنا نماز کا کمرہ تھا وہاں اب دن میں دو تین بار بچے نماز ادا کرتے دکھائی دیتے۔ نگہت خوشبودار اگربتیاں...
मैं एक हाथ तिरी मौत से मिला आयातिरे सिरहाने अगरबत्तियाँ जला आया
अगरबत्तियाँاگربتیاں
incense sticks
محراب میں دھرے، لکڑی کے ایک چھوٹے سے قلم دان کو میں نے کئی بار دیکھا تھا۔ بہت جی چاہتا تھا کہ اسے کھول کر دیکھوں کہ آخر اس میں امی نے کیا رکھ چھوڑا ہے۔ لیکن میرا ہاتھ محراب تک نہیں پہنچتا تھا۔ باہر دالان سے چوپائی اٹھا لانے...
कहीं भी जला कर लगा दूँ अगरबत्तियाँमुद्दतों बा'द भी
अम्माँ बोलीं, “मियाँ घर छोड़ते हैं सो बिस्मिल्लाह... मैं तो रज्जो को कहीं न जाने दूँ। ऐ पान तो खिलाओ बुआ, मुँह फीका हो रहा है। क़िवाम कम लगाना ज़रा।” उधर अपनी ता'रीफ़ों के पुल बँधते देख कर रज्जो और भी लजा गई। मैं अनाड़ी घुड़-सवार उन दिनों रज्जो के...
मरीज़ ने जवाब दिया, सुबह और शाम मैं और मेरी बीवी सारे घर में अगरबत्तियाँ जलाने के बाद रूह केवड़ा से ग़ुसल करते हैं। ग़ुसल से पहले सर को कमर के पीछे कर के रूह केवड़ा से ग़रारे करते हैं ताकि दिमाग़ तमाम आलूदगियों से पाक हो जाएं।" "ये दिमाग़...
پھریں اپنے جوبن میں اتراتیاںکہیں چٹکیاں اور کہیں تالیاں
“जी हाँ, जब सर्दी गुज़र जाएगी।” पुष्पामणि ने कई चीज़ें लिखाईं। दुसुती, गुनिया माप के लिए गर्म ब्लेज़र सब्ज़-रंग का, एक गज़ मुरब्बा, डी.एम.सी. के गोले, गोटे की मग़ज़ी... और इमरतियाँ और बहुत से गुलाब जामुन... मुई ने सब कुछ ही तो लिखवा दिया। मुझे दाइमी क़ब्ज़ थी। मैं चाहता...
“क्यों क्या बात है?” “जल्दी करो। कहीं बहरूपिया सुबह ही सुबह घर से न चल दे।”...
दुकान को जल्द चलाने के ख़्याल से उन्होंने उजरतें बहुत कम रखीं। मुरव्वजा उजरतों से निस्फ़ से भी कम। चुनाँचे एक गत्ते पर स्याह रौशनाई से हजामत की मुख़्तलिफ़ किस्मों की उजरतें लिखवा कर उसे दीवार पर ऐसी जगह लटका दिया कि गाहक जैसे ही दुकान में दाख़िल हो, उसकी...
मैं एक ही क़मीज़ में बटन लगा दूँ और चाय बना दूँ... तो बहुत जानो... मुझसे भला इतने काहे को झेले जाऐंगे। सुस्त मिट्टी वैसे ही हूँ। अब इतने मियाओं को कौन बैठ के भुगतेगा। कहते हैं कि डाकख़ाने में अगर भूले से कोई ग़लत ख़त पढ़ा जाये तो थोड़ी...
جنازے میں محلے کے سبھی لوگ شریک تھے۔ بیٹا جو مشکل سے نو سال کا ہوگا اسی اجرک میں پھولوں کی چادر، اگربتی، گلاب جل اور شمامۃ العنبر باندھے بے خبر پیچھے چل رہا تھا۔ اس میں ابھی تک کچھ یاد دلانے کے لیے، ایک ننھی سی گرہ مرحومہ کے...
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