aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "برتنا"
बरहना हैं सर-ए-बाज़ार तो क्याभला अंधों से पर्दा क्यों करें हम
'मीर' का रंग बरतना नहीं आसाँ ऐ 'दाग़'अपने दीवाँ से मिला देखिए दीवाँ उन का
बुरा ही क्या है बरतना पुरानी रस्मों काकभी शराब का पीना भी क्या हलाल न था
मय-कशी के भी कुछ आदाब बरतना सीखोहाथ में अपने अगर जाम लिया है तुम ने
“कौन हैं तुम्हारे नौकर?”“ये तीनों...” मैंने तीन आदमीयों की तरफ़ इशारा किया जो बर्तन खड़पड़ कर रहे थे।
शायरी में महबूब माँ भी है। माँ से मोहब्बत का ये पाक जज़्बा जितने पुर-असर तरीक़े से ग़ज़लों में बरता गया इतना किसी और सिन्फ़ में नहीं। हम ऐसे कुछ मुंतख़ब अशआर आप तक पहुँचा रहे हैं जो माँ को मौज़ू बनाते हैं। माँ के प्यार, उस की मोहब्बत और शफ़क़त को और अपने बच्चों के लिए उस प्यार को वाज़ेह करते हैं। ये अशआर जज़्बे की जिस शिद्दत और एहसास की जिस गहराई से कहे गए हैं इस से मुतअस्सिर हुए बग़ैर आप नहीं रह सकते। इन अशआर को पढ़िए और माँ से मोहब्बत करने वालों के दर्मियान शेयर कीजिए।
दुनिया को हम सबने अपनी अपनी आँख से देखा और बर्ता है इस अमल में बहुत कुछ हमारा अपना है जो किसी और का नहीं और बहुत कुछ हमसे छूट गया है। दुनिया को मौज़ू बनाने वाले इस ख़ूबसूरत शेरी इन्तिख़ाब को पढ़ कर आप दुनिया से वाबस्ता ऐसे इसरार से वाक़िफ़ होंगे जिन तक रसाई सिर्फ़ तख़्लीक़ी अज़हान ही का मुक़द्दर है। इन अशआर को पढ़ कर आप दुनियाँ को एक बड़े सियाक़ में देखने के अहल होंगे।
‘याद’ को उर्दू शाइरी में एक विषय के तौर पर ख़ास अहमिय हासिल है । इस की वजह ये है कि नॉस्टेलजिया और उस से पैदा होने वाली कैफ़ीयत, शाइरों को ज़्यादा रचनात्मकता प्रदान करती है । सिर्फ़ इश्क़-ओ-आशिक़ी में ही ‘याद’ के कई रंग मिल जाते हैं । गुज़रे हुए लम्हों की कसक हो या तल्ख़ी या कोई ख़ुश-गवार लम्हा सब उर्दू शाइरी में जीवन के रंगों को पेश करते हैं । इस तरह की कैफ़ियतों से सरशार उर्दू शाइरी का एक संकलन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है ।
बरतनाبرتنا
use
तेग़-ए-बरहना
हज़रत सुल्तान बाहू
मुंशी नवल किशोर के प्रकाशन
haalat-e-qutub deccan hazrat syed hasan urf barhana shah saahab
मोहम्मद अली खाँ
Harf-e-Barhana
उनवान चिश्ती
आलोचना
Ghaseeta Ki Bhutnaa Shahi
सैफ़ी सिवहारवी
Barnabas Ki Injeel
क्रिश्चियन
Gar Tu Bura Na Mane
अमीरुल इस्लाम हाशमी
Shamsheer Barhana
शाह अशरफ़ुद्दीन अशरफ़
इस्लामियात
Fatawa Barhana
शोर सहबाई
Barahna
क़ैसी रामपुरी
Barhana Raqqasa Aur Hindustani Naujawan
मोहम्मद सिद्दीक़ खान
नॉवेल / उपन्यास
Barahna-Pa
इफ़्फ़त अफ़ज़ल
Irshad-un-Nas Ila Qaul-e-Barnabas
अननोन ऑथर
Qahr-e-Rabbani Bar-Fitna-e-Shaitani
मोहम्मद अहमद रज़ा क़ादरी दिनाजपूरी
हर एक ग़म को ख़ुशी की तरह बरतना हैये दौर वो है कि जीना भी इक हुनर सा लगे
سوِلزیشن انگریزی لفظ ہے جس کا تہذیب ہم نے ترجمہ کیا ہے مگر اس کے معنی نہایت وسیع ہیں۔ اس سے مراد ہے انسان کے تمام افعالِ ارادی، اخلاق اور معاملات اور معاشرت اور تمدن اور طریقہ تمدن اور صرف اوقات اور علوم اور ہر قسم کے فنون و ہنر کو اعلیٰ درجے کی عمدگی پر پہنچانا اور ان کو نہایت خوبی و خوش اسلوبی سے برتنا جس سے اصل خوشی اور جسمانی خوبی ہوتی ہے اور ت...
لوگ خیال کرتے ہیں کو مسلمانوں کے مذہب میں بھی ایسا خوں خوار، امن اور اخلاق کے بر خلاف جہاد کا مسئلہ ہے۔ اگر وہ مسئلہ در حقیقت ایسا ہی ہو جیسا کہ بعض یا اکثر حقیقت تک نہ پہنچنے والے یا خود غرض لوگوں نے سمجھا ہے یا اکثر ظالم و مکار مسلمان حکمرانوں نے برتا ہے تو اس کے اخلاق کے برخلاف ہونے میں کون شبہ کر سکتا ہے مگر ہمارا اعتقاد یہ نہیں ہے، بلکہ جو حقی...
और माँ को जागते हुए पाकर बोला, “अरे! तू सो क्यों न गई माँ?”
ज़ैतून का तेल आ गया और जान मुहम्मद भी। उसने मेरे सारे बदन पर मालिश की, क़रीब-क़रीब आध घंटा उसका इस मशक़्क़त में सर्फ़ हुआ, मुझे बड़ी राहत महसूस हुई।इसके बाद उसका मा’मूल हो गया कि हर रोज़ दफ़्तर जाने से पहले हस्पताल में आता और मेरे बदन पर मालिश करता। मुझे राहत ज़रूर होती थी लेकिन वो इस ज़ोर से अपने हाथ चलाता कि मेरी हड्डियां तक दुखने लगतीं। चुनांचे मैं उससे अक्सर बड़े दुरुश्त लहजे में कहता, “जान मुहम्मद! तुम तो मेरी जान ले लोगे।”
اس تقریر پر اعتراض ہو سکتا ہے کہ جو لوگ مخالف رائے کو غلط اور مضر سمجھ کر اس کی مزاحمت کرتے ہیں، اس سے ان کا مطلب اس بات کا دعویٰ کرنا کہ وہ غلطی سے آزاد و بری ہیں، نہیں ہوتا، بلکہ اس سے اس فرض کا ادا کرنا مقصود ہوتاہے جو ان پر با وصف قابل سہو و خطا ہونے کے اپنے ایمان اور اپنے یقین کے مطابق عمل کرنے کا ہے۔ اگر لوگ اس وجہ سے اپنی رایوں کے موافق کار...
जंग-ए-अज़ीम छिड़ने पर गोर्की ने बैन-उल-मिल्ली पोज़ीशन इख़्तियार कर ली। 1917 ई. में उसने अपने क़दीम दोस्तों यानी बोल्शेविकों की मदद की, मगर ये इमदाद ग़ैर मशरूत ना थी। गो उस का असर लेनिन और उसकी पालिसी के हक़ में था मगर उसने इस दफ़ा ख़ुद को पार्टी का तरफ़-दार ज़ाहिर ना किया। बल्कि ग़ैर जानिबदार और अमन पसंद रहने की कोशिश की, उसकी ये भारी भरकम बरतरी और मुशफ़ि...
(दीवान-ए-चहारुम)‘मीर’ के कलाम से किसी और सबूत की ज़हमत न उठाने की रौशनी में यही कहा जा सकता है कि मजनूँ साहब और बाबा-ए-उर्दू दोनों ही ने कलाम ‘मीर’ से ज़ियादा इस मफ़रुज़े को मो'तबर जाना है कि शाइ'री और कुछ हो या न हो, शख़्सियत का इज़हार होती है।
جوانان مرغزار یعنی ہرے بھرے درخت ایک دوسرے کے گلے میں ہاتھ ڈالے جھوم رہے تھے۔ ٹھنڈی ٹھنڈی ہوائیں آتی تھیں، وہیں آرام اپنی پلنگڑی بچھائے لیٹا تھا، اور خوشی میٹھے میٹھے سروں میں پڑی ایک ترانہ لہرا رہی تھی۔ یہی مقام رہ گزر عام کا تھا۔ اس لئے جو لوگ ادھر سے گزرتے تھے یہاں کی سرسبزی ان کی آنکھوں میں طراوت دیتی تھی۔ ادراک کا ناخدا داہنے ہاتھ پر دوربین لگ...
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