aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "رانوں"
रानो
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वो रणधीर की इस बात का मतलब समझ गई थी क्योंकि उसकी आँखों में शर्म के लाल डोरे तैर गए थे लेकिन बाद में जब रणधीर ने उसे अपनी धोती निकाल कर दी तो उसने कुछ देर सोच कर अपना लहंगा उतार दिया। जिस पर मैल भीगने की वजह से...
या जब से, जब वो मन्नतों मुरादों से हार गईं, चिल्ले बंधे और टोटके और रातों की वज़ीफ़ा ख़्वानी भी चित्त हो गई। कहीं पत्थर में जोंक लगती है। नवाब साहब अपनी जगह से टस से मस न हुए। फिर बेगम जान का दिल टूट गया और वो इल्म की...
ये मेरा जोश-ए-मोहब्बत फ़क़त इबारत हैतुम्हारी चम्पई रानों को नोच खाने से
सौगंधी ने कई बार इस दर्द को अपने ख़यालात के नीचे से निकाल कर ऊपर लाना चाहा मगर नाकाम रही। वो चाहती थी कि किसी न किसी तरह उसका अंग अंग दुखने लगे, उसके सर में दर्द हो, उसकी टांगों में दर्द हो, उसके पेट में दर्द हो, उसकी बाँहों...
एक अजीब क़िस्म का खिंचाव उसके आज़ा में पैदा हो गया था जिसके बाइस उसे बहुत तकलीफ़ होती थी। इस तकलीफ़ की शिद्दत जब बढ़ जाती तो उसके जी में आता कि अपने आपको एक बड़े हावन में डाल दे और किसी से कहे, “मुझे कूटना शुरू कर दो।” बावर्चीख़ाने...
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thighs
तरीक राहों के मुसाफ़िर
ज़किया मशहदी
कहानियाँ
रातों का शहर
शौकत सिद्दीक़ी
अफ़साना
Razon Se Bhara Basta
साक़ी फ़ारुक़ी
नज़्म
हिंदसा बे ख़्वाब रातोँ का
रियाज़ लतीफ़
संकलन
Ek Panchhi Akela
रोमांटिक
Roohon Ka Shahar
हुमायूँ इक़बाल
Apr 1983
Tujhe Dekhta Rahun
अनवर ज़हीर रहबर
शाइरी
Masdood Rahon Ke Musafir
रिज़वान अहमद
Rahon mein
मसरूर जहाँ
Jagti Raton Ki Fasl
मुर्तज़ा अली शाद
ग़ज़ल
Phoolon Ki Rani
उपन्यास
Kuwari Bewa
Ranu
राजिंदर सिंह बेदी
Bahut Der Baad
नॉवेल / उपन्यास
منہ سرخ ہو گیا شکن آبرو پہ پڑ گئینکلا کوئی سمند کو رانوں میں داب کے
सहन में पहुंच कर उसने अपनी दुखती हुई कमर सीधी की और ऊपर आसमान की तरफ़ देखा। मटियाले बादल झुके हुए थे, “मसऊद, आज ज़रूर बारिश होगी।” ये कह कर उसने मसऊद की तरफ़ देखा मगर वो अंदर अपनी चारपाई पर लेटा था।...
سن چکا ہوں میں، کہ مضطر ہے کئی راتوں سےالفتِ شاہ ٹپکتی ہے تری باتوں سے
یوں تو کئی راتوں سے وہ ہیں مضطر و بیتابراحت کی نہ صورت ہے نہ آرام کا اسباب
फिर फ़ौरन ही दूर स्टूडियो के उस तरफ़ गुलाब को देख कर चिल्लाये, जो उंगलियों में चाय की प्यालियां लटकाए चला आ रहा है, “अरे गुलाब... गुलाब!” गुलाब भागता हुआ आया और खिड़की के सामने पहुंच कर ठहर गया। विलेन साहब ने घबराए हुए लहजे में उससे कहा, “देखो! एक...
मैं कोई पेंटिंग नहींकि इक फ़्रेम में रहूँ
"पाडी।" उन्होंने सूखी रोटी के मुहीत नेवाले को गले में जकड़ते हुए कहा। और जन्नो ने घबरा कर उन्हें कटोरी पकड़ा दी। "जल्दी से खा लो। कटोरी माँझ के यहीं धर देना। हमें कुट्टी करने को पड़ी है।" वो ग़ुरूर से अहकाम सादिर करती उठी।...
ایک دوبار اس کے دل میں خیال پیدا ہوا کہ وہ بھئی ایم اسلم کی افسانہ نویسی اور بہزادؔ کی شاعری کا گرویدہ ہو جائے اور یوں کسی کے عشق کرنے میں کامیابی حاصل کرے۔ لیکن قصد کرنے پر بھی وہ ایم اسلم کا افسانہ پورا نہ پڑھ سکا اور...
शांता को जो सरीता से दो बरस छोटी थी ये बातें सुन कर ऐसा लगा था जैसे उसके सारे जिस्म के अंदर नन्हे नन्हे घुंघरू बज रहे हैं। सरीता की सब बातें सुन कर भी उसको तसल्ली न हुई थी और उसका बाज़ू खींच कर उसने कहा था, “चल नीचे...
मैं गुम्बदों के तमाम राज़ों को जानता हूँदरख़्त मीनार बुर्ज ज़ीने मिरे ही साथी
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