aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "روشندان"
रख़्शंदा नवेद
born.1959
शायर
रख़्शंदा रूही महदी
लेखक
रोशान प्रिन्टर्स, दिल्ली
पर्काशक
रख़्शंदा जलील
संपादक
रख़्शंदा किताब घर, मुंबई
रख़शन्दा सलमान
रख़शन्दा कौकब
रख़शनदा एजाज़
रख्शंदा जबीं
डाॅ. मेहरदाद रख़शन्दा
ज़किया रख़शंदा
रुशान कुमार
धुएँ में साँस हैं साँसों में पल हैंमैं रौशन-दान तक बस मर रहा हूँ
जुगनुओं ने फिर अँधेरों से लड़ाई जीत लीचाँद सूरज घर के रौशन-दान में रक्खे रहे
“अच्छा... अच्छा ...! थैंक यू...! जाग गया हूँ... बहुत अच्छा! नवाज़िश है।” आँ-जनाब हैं कि सुनते ही नहीं। ख़ुदाया! किस आफ़त का सामना है? ये सोते को जगा रहे हैं या मुर्दे को जिला रहे हैं? और हज़रत-ए-ईसा भी तो बस वाजिबी तौर पर हलकी सी आवाज़ में “क़ुम” कह...
वो ख़मोशी उँगलियाँ चटख़ा रही थी ऐ 'शकेब'या कि बूँदें बज रही थीं रात रौशन-दान पर
रौशन-दान से धूप का टुकड़ा आ कर मेरे पास गिराऔर फिर सूरज ने कोशिश की मुझ से आँख मिलाने की
आज दक्कन के मशहूर शायरों की कुछ ग़ज़लों का चयन हमारे पाठकों के लिए पेश किया जा रहा है। ये ग़ज़लें उर्दू के ज़बान के एक अलग रंग से परिचित कराएँगी। पढ़िए और भाषा का आनंद लीजिए।
मोहब्बत के क़िस्से और महबूब के क़सीदे उर्दू शायरी में जितने आ’म हैं उतनी ही शोहरत महबूब की ज़ुल्म करने की आदत की भी है। आशिक़ दिल के हाथों मजबूर वह दीवाना होता है जो तमामतर जफ़ाओं और यातनाओं के बावजूद मोहब्बत से किनारा करने को तैयार नहीं। इन जफ़ाओं का तिलिस्म शायरों के सर चढ़ कर बोलता रहा है। जफ़ा शायरी के इसी रंग रूप से आशनाई कराने के लिए पेश है यह इन्तिख़ाबः
नेक इरादों के साथ किसी की ख़ुशी, किसी की भलाई के लिए कुछ करना, वो ख़ूबी है जो कम लोगों में होती है, यूँ तो एहसास जताने वाले हज़ारों होते हैं। किसी के एहसास को याद रखना और उस याद को लफ़्ज़ देना हुस्न और इश्क़ दोनों के लिए आज़माइश की घड़ी होती है। एहसास शायरी के इस गुलदस्ते में आपके लिए बहुत कुछ मौजूद हैः
रौशन-दानروشن دان
chimney
रौशन-दानروشندان
मकान में रौशनी आने का सूराख ।।
Bhole Kabootar Hoshiyar Sanp
तालिब शाहाबादी
अफ़साना
Raushaniyan
एहसान दानिश
नज़्म
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ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार हाउ आई वंडर व्हाट यू आर...
जाने किस रस्ते से किरनें आ जाएँदिल दहलीज़ पे आँखें रौशन-दान में रख
"वो?" उसने आँखों से दीवार की तरफ़ इशारा किया। दीवार पे एक बड़ा सा बंदर बैठा था, दोनों को देख के ऊँघते-ऊँघते एक साथ खड़ा हो गया, और बदन के सारे बाल सेह के कांटों की तरह खड़े हो गए, उनके पाँव जहाँ के तहाँ जमे रह गए और जिस्म...
किसी के सुब्ह की मुस्कान होनाअंधेरे घर में रौशन-दान होना
اپنے دستخط کیے، تاریخ ڈالی، وقت درج کیا۔۔پھر میں نے بیش قیمت کاغذ کا وہ پرزہ اس فائل میں رکھ دیا جو مجھے بہت عزیز تھی اور جس میں میری ذات سے متعلق ہر دستاویز محفوظ پڑی تھی۔ فائل کو اسٹیل کی الماری میں رکھنے کے بعد میں نے کپڑے...
بہت دیر بعد ایک بار پھر بالآخر پردہ نشین نے اسے مڑ کر دیکھا۔ نذیر کئی لمحوں سے اس کی آنکھوں میںجھانکنے کامنتظر تھا۔ سورج غروب ہونے کے بعد دھیرے دھیرے آسمان سے شفق بھی معدوم ہو گئی۔ اطراف میں اندھیرا پھیلنے پر بس کے اندر روشنیاں جلا دی گئیں۔...
سورن لتا: کیا کہے گا؟ عذرا: کہ عورت میں جسے دنیا میں بڑے بڑے کام سرانجام دینا ہوتے ہیں خوبصورتی کا ہونا اشد ضروری ہے اگر عورت خوبصورت نہیں تو وہ ایسا کمرہ ہے جس میں کوئی روشندان نہ ہو۔...
शक्ल उसकी घड़ी-घड़ी बदलती कभी रौशन दान की हद से निकल कर तिनकों का झूमर दीवार पर लटकने लगता, कभी इतना बाहर सरक आता कि आधा रौशन दान में है, आधा ख़ला में मुअल्लक़, कभी इक्का दुक्का तिनके का सरकशी करना और रौशन दान से निकल छत की तरफ़...
न साएबान न आँगन न छत न रौशन-दानऔर इस पे सब से लड़ाई कि घर ये मेरा है
’’ہاں بھئی خوش ہونے کے موقعے پر وہ خوش بھی ہوتے ہیں اور غصے کے موقعے پر ذرا ڈانٹ بھی دیتے ہیں، تو تم خواہ مخواہ دل برا کر لیتے ہو۔‘‘ مسعود میاں ہلکے پھلکے بدن کے آدمی تھے۔ جھاڑوں پر چڑھ جانا، بندروں کی طرح لٹک جانا، دروازوں اور...
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