aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سرکس"
सैक्स रोहमर
लेखक
इस्लामिक सोशल सर्विस सोसिएटी, हैदराबाद
पर्काशक
इस्लामिक बुक सर्विस प्राइवेट लिमिटेड
मतबा सर्केस, मिश्र
उर्दू सर्कल लायल पुर
सादी वूमेन वालंटरी सोशल सर्विस, भोपाल
कर्नाटक अदबी सर्किल
युसूफ अल्यान सर्केस
क़ुरानिक स्टडी सर्किल
सर को थरापी सेन्टर , हैदराबाद
शोबा-ए-अदब पाली स्टडी सरकल, हैदराबाद
स्टडी सरकल कुल हिंद मज्लिस तामीर-ए-मिल्लत, हैदराबाद
मरठवाड़ा अदबी सरकल अहमदपुर, महाराष्ट्र
सिन्धु यूथ सर्किल लेखराज अज़ीज़ पुस्तकालय एंड रिसर्च सेंटर
योगदानकर्ता
मैसूर अदबी सर्किल, मैसूर
ख़ूँ पिला कर जो शेर पाला थाउस ने सर्कस में नौकरी कर ली
यक़ीन मानिए मुझ पर घड़ों पानी पड़ गया। शर्म के मारे मैं पसीना पसीना हो गया। चौधवीं सदी में ऐसी बे-ग़र्ज़ी और ईसार भला कहाँ देखने में आता है। मैंने कुर्सी सरका कर मिर्ज़ा के पास कर ली। समझ में न आया कि अपनी निदामत और मम्नूनियत का इज़हार किन...
उसी ज़माने में मुझे मा'लूम हुआ कि उस लड़की की माँ-ख़ाला वग़ैरह ने मुझे पसंद कर लिया है (स्कूल डे के जलसे के रोज़ देखकर) और अब वो मुझे बहू बनाने पर तुली बैठी हैं। ये लोग नूर-जहाँ रोड पर रहते थे और लड़का हाल ही में रिज़र्व बैंक आफ़...
رفتہ رفتہ گھر کی چار دیواری ایک مکمل ڈائریکٹری کی صورت اختیار کرلیتی ہے۔ دروازے کے اوپر بوٹ پالش کا اشتہار ہے۔ دائیں طرف تازہ مکھن ملنے کا پتہ مندرج ہے۔ بائیں طرف حافظہ کی گولیوں کا بیان ہے۔ اس کھڑکی کے اوپر انجمن خدام ملت کے جلسے کا پروگرام...
ہم کو اس سے انکار نہیں کہ ایک معمولی سے معمولی چیز پر قوت تخئیل مدتوں صرف کی جاسکتی ہے اور سینکڑوں مضامین پیدا کئے جا سکتے ہیں، جس کی مخصوص مثال شعرائے متاخرین کی نکتہ آفرینیاں ہیں، لیکن اس کی مثال سرکس کے گھوڑے کی ہے جو ایک خیمہ...
सिरकाسِرکا
धूप में पका कर खट्टा किया हुआ किसी फल का रस
सरकशسَرکَش
विद्रोही, अवज्ञाकारी, आज्ञा का उल्लंघन करने वाला
सरकسَرَک
सरकने की क्रिया, खिसकना, चलना, गमन
मरकसمرکس
बेस्वाद शराब
Circus Se Aadam Khori Tak
नक़्शबंद क़मर नक़वी
नॉवेल / उपन्यास
Chacha Murghi Ne Sarkas Dekha
मज़हरुल हक़ अलवी
Sarkas
मोहम्मद हुसैन हस्सान
कहानी
Sarkash Roohen
जिब्रान ख़लील जिब्रान
Fu Manchu Ka Intiqam
Gardab-e-Halakat
Dr. Fomancho Ka Saya
किशनचन्द माथुर तस्लीम देहलवी
कि़स्सा / दास्तान
Gernaili Sarak
रज़ा अली आबिदी
Sarkar Ke Khushamdi Aur Sarkash
ख़्वाजा हसन निज़ामी
लेख
Ladies Secret Service
हुमायूँ इक़बाल
Pur Asrar Foumanchu
जासूसी
Fumanchu Ki Wapsi
Maulana Azad Library Doccumentation Service (Urdu)
डॉ नसीम अहमद
Sarkash Roohein
इतना ये नाज़ुक कि आशिक़ कूचा-ए-जानाँ के दो एक फेरों में ही घबरा जाता है। मगर ज़रा पुराने आशिक़ की हिम्मत तो मुलाहिज़ा फ़रमाइए, उस नक़्श-ए-पा के सज्दे ने क्या-क्या किया ज़लील...
मेरा मतलब ये नहीं कि मैं ये उम्मीद लगाए बैठा था कि मेरे दहलीज़ पर क़दम रखते ही मुर्ग़ सर्कस के तोते की मानिंद तोप चला कर सलामी देंगे, या चूज़े मेरे पांव में वफ़ादार कुत्ते की तरह लोटेंगे, और मुर्ग़ियां अपने अपने अंडे “सिपर दम बुतो माए-ए-ख़वेश रा” कहती...
मुद्दआ अनक़ा है अपने आलम-ए-तक़रीर का और फिर नौबत यहाँ तक पहुँचती कि मैं दाढ़ी बना रहा हूँ और वो ग़ालिब का फ़लसफ़ा-ए-हुस्न समझा रहे हैं। मैं कंघा कर रहा हूँ और वो आराइश-ए-जमाल से फ़ारिग़ नहीं हनूज़, में मसअला-ए-इर्तिक़ा को परवान चढ़ते देख रहे हैं। मैं कपड़े बदल रहा...
कजबहसी का ये सिलसिला-ए-दराज़ बहरहाल ख़त्म हुआ। इसके बाद हम एक दूसरे से कभी नहीं लड़े बल्कि यूं कहिए कि हमने उसका कभी मौक़ा ही नहीं आने दिया। गुफ़्तगु करते करते जब भी कोई ख़तरनाक मोड़ आया तो इस्मत ने रुख़ बदल लिया या मैं रास्ता काट के एक तरफ़...
خیر ظرافت اس خاص غرض کے لئے یعنی ستر حال کے لئے اخفائے خیال کے لئے، ان کے ہاتھ میں ایک اچھے لفافہ کا، بڑے کار آمد آلہ کا کام دیتی تھی، جو کچھ اور جس کی نسبت چاہتے، اسی پردہ میں سنا جاتے۔ کچھ اکیلی سیاسیات پر موقوف نہیں،...
“जी मामा…”, खेम के ज़हन में वो सारियाँ झमाझम करती कौंद गईं जो माँ के संदूक़ों में ठुँसी थीं। वो तो ख़ुदा से चाहती थी कि कल की पहनती आज ही वो सारियाँ पहन डाले। मगर हेम-किरन ही पर अंग्रेज़ियत सवार थी। एक तो वो ये नहीं भूली थीं कि...
پہلے تو ہم اپنے پروڈیوسر حضرات کی دریادلی پر آٹھ آٹھ آنسو بہاتے ہیں۔ ایک فلم خدا جانے کتنی لمبی ہوتی ہے۔ شاید کئی میل لمبی اور جب ٹریلر دیکھتے ہیں تو قریب قریب ساری فلمی کہانی سن لیتے ہیں۔ ٹریلر کے بعد فلم دیکھنا محض اسے دہرانا ہے۔ ایک...
तख़लीक़ी ज़बान में इस्तेमाल होने वाले हर लफ़्ज़ की तरह अलामत भी अपने सयाक़-ओ-सबाक को मुतास्सिर करती है और मुतास्सिर होती है, मुजर्रिद ख़ला में मुअल्लक़ नहीं रहती। लिहाज़ा हमें देखना पड़ेगा कि कोई लफ़्ज़ अलामती अमल कर भी रहा है या नहीं, वर्ना हम हर उस लफ़्ज़ को अलामत...
सवाल ये है कि वकीलों की इस दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी के बाद वकील बेचारे आख़िर करेंगे क्या। आज ही ये हाल है कि मुक़द्दमों के लिए वकील तो जिस तादाद में जिस साइज़ जिस डिज़ाइन के कहिए ढेर कर दिए जाएं। मगर वकीलों को आँख में लगाने के...
اس روز سے ہم سب نے ایکا ایکی جاپانیوں سے مانوس ہونے کی آخری منزل طے کرلی۔ حکم ملے تو مسکراؤ حکم ملے تو نظریں اٹھاؤ۔ حکم ملے تو خشک گلے تر کرنے کے لیے منہ کا لعاب نگلو اور اگر حکم نہ ملے تو مٹی کے مادھو کی طرح...
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