आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "شان_ادب"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "شان_ادب"
नज़्म
नई तहज़ीब
न पैदा होगी खत-ए-नस्ख़ से शान-ए-अदब-आगीं
न नस्तालीक़ हर्फ़ इस तौर से ज़ेब-ए-रक़म होंगे
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
ऐ बुझे रंगों की शाम अब तक धुआँ ऐसा न था
आज घर की छत से देखा आसमाँ ऐसा न था
राजेन्द्र मनचंदा बानी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "شان_ادب"
अन्य परिणाम "شان_ادب"
ग़ज़ल
मिरे अज़ीज़ो न दिल जलाओ कि शाम अब तक ढली नहीं है
चराग़ की लौ ज़रा घटाओ कि शाम अब तक ढली नहीं है