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तंज़-ओ-मज़ाह
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
ग़ज़ल
है गर्मी-ए-बयान-ए-मोहब्बत पे अब हयात
करना पड़ा है सोहबत-ए-ख़ूबाँ से एहतिराज़
अब्दुल मन्नान बेदिल अज़ीमाबादी
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ग़ज़ल
बज़्म-ए-तरब वक़्त-ए-ऐश साक़ी ओ नक़्ल ओ शराब
कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब