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ग़ज़ल
है एक क़ुल्ज़ुम-ए-ख़ूँ क़र्या-ए-जुनूँ से उधर
यहाँ जो आए कोई उस की फिर ख़बर ही न जाए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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है एक क़ुल्ज़ुम-ए-ख़ूँ क़र्या-ए-जुनूँ से उधर
यहाँ जो आए कोई उस की फिर ख़बर ही न जाए