aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "نتائج"
वो ज़रा मुस्कुराए और गोया अपने आप से कहने लगे, "एक ही बात है! एक ही बात है!!" फिर उन्होंने सर के इशारे से कहा सुनाओ। जब मैं सुनाने लगा तो उन्होंने अपना पायजामा घुटनों से नीचे कर लिया और पगड़ी का शिमला चौड़ा कर के कंधों पर डाल दिया...
ख़ालिद तय्यारों का शोर-ओ-गुल सुन कर अपनी हवाई बंदूक़ सँभालता हुआ कमरे से बाहर दौड़ा आया। और उन्हें ग़ौर से देखने लगा। ताकि वो जिस वक़्त गोला फेंकने लगें। तो वो अपनी हवाई बंदूक़ की मदद से उन्हें नीचे गिरा दे। उस वक़्त छः साल के बच्चे के चेहरे पर...
आप मेरी तरफ़ इस तरह न देखिए डाक्टर साहब, मुझे इस चीज़ का कामिल एहसास है कि आप अपने हस्पताल में किसी मरीज़ का मरना पसंद नहीं करते मगर जो चीज़ अटल है वो होके रहेगी। आप ऐसा कीजिए कि मुझे यहां से रुख़सत कर दीजिए। मेरी टांगों में तीन-चार...
रोटी खाने के मुताल्लिक़ एक मोटा सा उसूल है कि हर लुक़मा अच्छी तरह चबा कर खाओ। लुआब-दहन में उसे ख़ूब हल होने दो ताकि मेअ्दे पर ज़ियादा बोझ ना पड़े और इसकी ग़िजाईयत बरक़रार रहे। पढ़ने के लिए भी यही मोटा उसूल है कि हर लफ़्ज़ को, हर सतर...
“अच्छा!” ये कह कर शारदा ने किसी क़दर घबराई हुई निगाहों से मुख़्तार को देखा और नमस्ते करके चलने लगी। मुख़्तार ने उसको रोका, “ठहरो शारदा!” शारदा को जैसे बिजली के करंट ने छू लिया, चौंक कर रुक गई, “जी?”...
शायरी में वतन-परस्ती के जज़्बात का इज़हार बड़े मुख़्तलिफ़ ढंग से हुआ है। हम अपनी आम ज़िंदगी में वतन और इस की मोहब्बत के हवाले से जो जज़्बात रखते हैं वो भी और कुछ ऐसे गोशे भी जिन पर हमारी नज़र नहीं ठहरती इस शायरी का मौज़ू हैं। वतन-परस्ती मुस्तहसिन जज़्बा है लेकिन हद से बढ़ी हुई वत-परस्ती किस क़िस्म के नताएज पैदा करती है और आलमी इन्सानी बिरादरी के सियाक़ में उस के क्या मनफ़ी असरात होते हैं इस की झलक भी आपको इस शेअरी इंतिख़ाब में मिलेगी। ये अशआर पढ़िए और इस जज़बे की रंगारंग दुनिया की सैर कीजिए।
फ़ल्सफ़े के उनवान के तहत जो अशआर हैं वो ज़िंदगी के बारीक और अहम तरीन गोशों पर सोच बिचार का नतीजा हैं। इन शेरों में आप देखेंगे कि ज़िंदगी के आम से और रोज़ मर्रा के मुआमलात को शायर फ़िक्र की किस गहरी सतह पर जा कर देखता, परखता और नताएज अख़ज़ करता है। इस क़िस्म की शायरी को पढ़ना इस लिए भी ज़रूरी है कि उस से हमारे अपने ज़हन-ओ-दिमाग़ की परतें खुलती हैं और हम अपने आस-पास की दुनिया को एक अलग नज़र से देखने के अहल हो जाते हैं।
नताएजنتائج
results
‘नतीजः’ का बहु., नतीजे ।।
Ghulami Ki Alamatein Aur Ghulami Ke Natayej
लाला लाजपत राय
लेख
Tareekh Afkar-o-Siyasiyat-e-Islami
अब्दुल वहीद ख़ाँ
इस्लामियात
Nataej-ul-Afkar
कुद्रतुल्लाह गोपामव्वी
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Nataij-ul-Zahan Wa Faizan-ul-Fikr
वाजिद अली शाह अख़्तर
Aalam-e-Islam Par Maghrib Ka Tasallut Asbab-o-Nataij
मोहम्मद वसीक़ नदवी
Chin-o-Arab Ke Taalluqat Aur Unke Nataij
बदरुद्दीन चीनी
राजनीतिक
Nataij-ul-Ma'ani
महमूद बेग राहत देहलवी
नताएजुल मआनी
इतिहास
Tib-e-Nabawi Sallallahu Alaihi Wasallam Ke Hairat Angez Nataij
सय्यद एजाज़ हुसैन
तिब्ब-ए-यूनानी
ज़मीमा-ए-नताइज़
मुंशी मोहम्मद ज़काउल्लाह
अन्य
Nataij-ul Afkar
Nataijul-Mani
मिर्ज़ा महमूद बेग
क़ित'अ
Kitab Tazkira-e-Nataijul-Afkar
मिर्ज़ा क़ुदरतुल्लाह बेग
Nataij-ul-Maani
दास्तान
Nataij-ul-Mani
(7) हाफ़िज़ का शे’र नक़ल कर के अपनी “फ़ारसी दानी का मुज़ाहरा नहीं बल्कि सिर्फ़ मजबूरी का इज़हार मक़सूद है कि उर्दू के शे’र नहीं मिल सके। यूं भी फ़ारसी के कई शे’र, जिनका ज़िक्र मैंने किया है नय्यर मसऊद के अता करदा हैं, बल्कि इस पूरी काविश में उनका...
देहात में ऐसे पाए बहुत आम हैं जो आधे पट्टियों से नीचे और आधे ऊपर निकले होते हैं। ऐसी चारपाई का उल्टा-सीधा दरयाफ़्त करने की आसान तरकीब ये है कि जिस तरफ़ बान साफ़ हो वह हमेशा ‘उल्टा’ होगा। राक़िम-उल-हरूफ़ ने ऐसे अनघड़ पाए देखे हैँ जिनकी साख़्त में बढ़ई...
لاہور کی آب وہوا کے متعلق طرح طرح کی روایات مشہور ہیں، جو تقریباً سب کی سب غلط ہیں۔ حقیقت یہ ہے کہ لاہور کے باشندوں نے حال ہی میں یہ خواہش ظاہر کی ہے کہ اور شہروں کی طرح ہمیں بھی آب و ہوا دی جائے۔ میونسپلٹی بڑی بحث...
क्रिकेट के रसिया हम जैसे ना आश्नाए फ़न को लाजवाब करने के लिए अक्सर कहते हैं, “मियां, तुम क्रिकेट की बारीकियों को क्या जानो? क्रिकेट अब खेल नहीं रहा, साईंस बन गया है साईंस!” अजीब इत्तफ़ाक़ है, ताश के धतिया भी रमी के मुताल्लिक़ निहायत फ़ख़्र से यही दावा करते...
شاعری چونکہ وجدانی چیز ہے اس لئے اس کی جامع و مانع تعریف چند الفاظ میں نہیں کی جاسکتی، اس بنا پر مختلف طریقوں سے اس کی حقیقت کا سمجھانا زیادہ مفید ہوگا کہ ان سب کے مجموعہ سے شاعری کا ایک صحیح نقشہ پیش نظر ہو جائے۔ خدا نے...
एफ़.बी.पी 16 अगस्त...
واقعہ یہ ہے کہ اقبالؔ نے مزدوروں کی حکومت کے ابتدائی دور کو دیکھ کر جو رائے قائم کی تھی وہ بہت اچھی نہیں تھی۔ جاویدنامہ میں جمال الدین افغانی کی زبان سے انہوں نے اشتراکیت کے متعلق جو کچھ کہا ہے وہ اس سوء ظن کی بنا پر ہے۔...
انسان کی قومی ترقی کی نسبت ہم لوگوں کے یہ خیال ہیں کہ کوئی خضر ملے، گورنمنٹ فیاض ہو اور ہمارے سب کام کر دے۔ اس کے یہ معنی ہیں کہ ہر چیز ہمارے لیے کی جاوے اور ہم خود نہ کریں۔ یہ ایسا مسئلہ ہے کہ اس کو ہادی...
कुछ देर के बाद उसने मुझे दही की लस्सी का एक बहुत बड़ा गिलास पिलाया और मैं उससे ये वादा करके घर चला गया कि शाम को उसकी तक़रीर सुनने के लिए ज़रूर आऊँगा। शाम को जलियांवाला बाग़ खचाखच भरा था। मैं चूँकि जल्दी आया था, इसलिए मुझे प्लेटफार्म के...
ہنگامہ 1857 میں فرو ہوئے ابھی چند ہی سال ہوئے ہیں اور ہندوستان پوری طرح مزہ چکھ چکا ہے کہ زبر دست کےمقابلہ میں کمزور کے سر اٹھانے کا کیا نتیجہ ہوتا ہے۔ ملت اسلامی خصوصیت کے ساتھ اپنی غفلتوں اور عیش پرستیوں کے نتائج بھگت رہی ہے۔ صدیوں تک...
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books