aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "نمبردار"
जब नंबरदार का लड़का सामने आ जाता तो उसकी हो जाती और जब पटवारी का लड़का दिखाई देता तो उसका दिल उसकी तरफ़ माइल होने लगता और वो कोई फ़ैसला ही नहीं कर सकती थी। बिल-उमूम इश्क़ को लोग एक बिलकुल वाज़ेह, क़ाते’अ, यक़ीनी अम्र समझते हैं। दर हाल ये...
बस कोई धाप भर समझ लो। रास्ता बिल्कुल सीधा है कहीं दाहिने-बाएं मुड़ियो नहीं। सूरज डूबते डूबते पहुंच जाओगे।” “यही तुम्हारा बच्चा है।”...
“पढ़ूँ?”, अख़्तर ने पूछा। “हाँ हाँ”, परमेशर सिंह ने बड़े शौक़ से कहा।...
गाने बजाने का आशिक़, होली के दिनों में महीना भर तक गाता, सावन में मल्हार, और भजन तो रोज़मर्रा का शुग़्ल था। निडर ऐसा कि भूत और पिशाच के वजूद पर उसे आलिमाना शकूक थे। लेकिन जिस तरह शेर और पलंग भी सुर्ख़ शोलों से डरते हैं उसी तरह सुर्ख़...
"नहीं माई जमी अभी नहीं।" उसने सहम कर लजाजत से कहा,"मुझे इस घर में बहुत आराम मिल रहा है। मैं अभी नहीं जाना चाहती।" "अच्छा तो ये बात है। मुझसे कम्मो ने भी यही कहा था कि उसके तौर बदले हुए हैं। मगर मैंने यक़ीन नहीं किया।" फिर वो तहक्कुमाना...
नम्बर-दारنمبردار
numbered, chief of village
Numberdaar Ka Neela
सय्यद मोहम्मद अशरफ़
उपन्यासिका
Numberdar Ka Neela
Maah-e-Nau Ya Marka-e-Samrena
नाज़िश बदायूनी
दास्तान
रिसाला नंबर दोम
अनुवाद
और जब चिराग़ बी-बी बोलते-बोलते थक जाती, तो रहमते शुरू होती। “सुना चागाँ बी-बी आज रसूलाँ के हाँ लड़की पैदा हुई। इतनी छोटी जैसे चूहिया हो... नंबरदार की बेटी करीमाँ की शादी की तैयारीयाँ हो रही हैं इन दिनों। सुना है कि शहर से बैंड बाजे वाले बुलाए जाऐंगे... रात...
پنڈت جی، ’’مت ٹوک مجھے۔ یہ لفظ نمبردار نہیں تھا بلکہ علمبردار تھا۔ آہ! تمہارے بھولے پن نے میرے دل پر رقت طاری کر دی۔ میرے قلب میں انتشار پیدا کردیا۔ تمہارے دل میں ایک انقلاب کی خواہش کروٹیں نہیں لیتی کیا؟ کبھی تمہارے سینے میں گدگدیاں نہیں اٹھتیں۔۔۔ نہیں...
लेकिन लोग उसे ख़ुश करना भी जानते थे। कोई कहता, लक्षमण! आज तो तेरे चेहरे पर सोला बरस के जवान का रूप है। अरे भाई! रधिया की छोकरी जवान हो रही है। ऐसी ही जवान है, जैसे तुम हो। ख़ूब मेल है, बड़ा जोड़ है। अगर तुम उसे हासिल कर...
تو اب میں اپنے اصل مسئلہ کی طرف آچکی ہوں۔ دراصل میں انتہائی عجلت میں ہوں۔ آج سے نہیں۔ ازل سے۔۔۔ پہلی سانس سے میں بہت عجلت میں ہوں۔ اس کام کی خاطر جو دراصل مجھے کرنا ہے۔ اسی لیے مجھے ہر کام عجلت میں کرنا پڑتا ہے۔ آپ پوچھیں...
“सुनो तुम्हारे साहब, आज हम तुमसे वो बातें कहते हैं जो हमने आज तक किसी से नहीं कहीं। हमारी उम्र कुछ साठ बरस की हुई अगर बक़रईद तक ज़िंदा रहते तो पूरे साठ के होजाते। जवानी में हम पर वो मुसीबत पड़ी जिससे सारी ज़िंदगी बर्बाद हो गई, हमारा घर...
“अख़ाह मुंशी जी हैं। अमाँ किधर को?” “अमाँ किधर को क्या। वही मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक। इस हरामज़ादी तहसील को जाना तो क़ब्र में जाने के बाद ही बंद होगा।”...
پہلے اس نے کھلی ہوا میں ٹہل ٹہل کر دو تین گہرے سانس لیے اور پھر جیب ٹٹول کر ایک خاکی زنگ کا کا غذ باہر نکالا اور اس پر بغور نظر دوڑانے لگا۔ اسی اثنا میں گاؤں کے لوگ بھی جمع ہونے شروع ہو گئے۔ ادھر سکھ سپاہی نے...
एक साल गाँव में वबा फैल गई। ये एक नई बीमारी थी यानी पहले ज़ुकाम की शिकायत होती, साथ ही सर में दर्द होता, दूसरे दिन नाक और मुँह से ख़ून आता जिससे मरीज़ फ़ौरन मर जाता। लिहाज़ा उन लोगों ने अपनी जिहालत की वजह से वबा का ख़ालिक़ मुझे...
یہ خبر ہر نکڑ کونے میں یوں لگی، جیسے میاں خیرے کے میلے میں موت کے کنویں میں کوہ کاف کی حسینہ ایک پہئے والا سائیکل چلاتی ہو اور بنا ٹکٹ والا تنبو توڑ رش، اس ہٹی پر پڑنے لگا، جس کے سامنے سے گزر کر وہ روز صبح لسی...
गेहूँ की कटाई ज़ोरों पर थी। हँसिए कहते थे हमारे दाँत तेज़ हैं। हमारे दाँत हमेशा तेज़ रहेंगे। लोक-गीतों की शे’रियत की तरह धरती की आबरू उजागर हो उठी थी। किसान सोचते कि बटाई के दाने देकर भी उनके घरों में इतना अनाज पहुँचेगा कि वो पुराने कर्ज़ों से सुबुक-दोश...
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