aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "پھٹ"
नरीम पीट
संपादक
पॉट
लेखक
पठानी पटनायक
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
कभी जो आवारा-ए-जुनूँ थे वो बस्तियों में फिर आ बसेंगेबरहना-पाई वही रहेगी मगर नया ख़ार-ज़ार होगा
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनेंजो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा
वो इक गुस्ताख़ मुँह-फट आईनाजो दिल का अच्छा था
भारतीय इतिहास पर आधारित चुनिंदा उर्दू पुस्तकें यहाँ पढ़ें। इन पुस्तकों में भारत की संस्कृति और सभ्यता को पूरी तरह से दर्शाया गया है। आप इस पृष्ठ पर भारतीय इतिहास पर शीर्ष उर्दू पुस्तकें पा सकते हैं, जिन्हें रेख़्ता द्वारा उर्दू ईबुक पाठकों के लिए चुना गया है।
मायूसी ज़िंदगी में एक मनफ़ी क़दर के तौर पर देखी जाती है लेकिन ज़िंदगी की सफ़्फ़ाकियाँ मायूसी के एहसास से निकलने ही नहीं देतीं। इस सब के बावजूद ज़िंदगी मुसलसल मायूसी से पैकार किए जाने का नाम ही है। हम मायूस होते हैं लेकिन फिर एक नए हौसले के साथ एक नए सफ़र पर गामज़न हो जाते हैं। मायूसी की मुख़्तलिफ़ सूरतों और जहतों को मौज़ू बनाने वाला हमारा ये इन्तिख़ाब ज़िंदगी को ख़ुश-गवार बनाने की एक सूरत है।
जीत और हार का तसव्वुर बहुत पुराना है। ज़िन्दगी के तमाम खेल जीत की ख़्वाहिश में ही खेले जाते हैं चाहे इनका नतीजा कुछ भी निकले। दिल और दुनिया की बाज़ी में शायर भी कहीं न कहीं शामिल होता है इस लिए जीत उसके लिए भी शायरी का मौज़ूअ है। जीत शायरी के जश्न में कुछ देर के लिए आप भी शरीक हों तो मज़ा आ जाएः
फटپھٹ
tear
Phir Main Hidayat Pa Gaya
सय्यद मोहम्मद तेजानी समावी
आत्मकथा
फ़साने मन्टो के और फ़िर बयाँ अपना
ख़ालिद अशरफ़
अफ़साना तन्क़ीद
Yadon Ki Duniya
यूसुफ़ हुसैन ख़ाँ
भारत का इतिहास
फिर ऐसा नज़ारा नहीं होगा
कलीम आजिज़
काव्य संग्रह
Aur Phir Bayan Apna
अख़लाक़ अहमद देहलवी
लेख संग्रह
Ummeed Ka Phal
एम. के. पाशा
कहानी
उसूल-ए-इल्म-ए-हिन्दीसा
शोध एवं समीक्षा
Dhoop Phir Nikal Aai
हसीब सोज़
काया पलट
मुंशी सज्जाद हुसैन
नॉवेल / उपन्यास
Be Mausam Phal
इरफ़ान जमील
फिर सहर न हुई
मोनी गोपाल तपिश
ग़ज़ल
Phir Bahar Aai
ए. हमीद
Aaj Ki Shab Phir Sannata
ज़का सिद्दीक़ी
कुल्लियात
Machhli Wale Nabi
हबीब अहमद ख़ाँ शबनम क़ादरी
हिकायात
ज़रा फ़िर से कहना
अमजद इस्लाम अमजद
नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारीतो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम
या जब से, जब वो मन्नतों मुरादों से हार गईं, चिल्ले बंधे और टोटके और रातों की वज़ीफ़ा ख़्वानी भी चित्त हो गई। कहीं पत्थर में जोंक लगती है। नवाब साहब अपनी जगह से टस से मस न हुए। फिर बेगम जान का दिल टूट गया और वो इल्म की...
महाराजा जब कुछ फ़िल्म दिखा चुका तो उसने कैमरे में रोशनी की और बड़ी बेतकल्लुफ़ी से अशोक की रान पर धप्पा मार कर कहा,“और सुनाओ दोस्त।” अशोक ने सिगरेट सुलगाया, “मज़ा आगया फ़िल्म देख कर।”...
कभी जो आवारा-ए-जुनूँ थे वो बस्तियों में फिर आ बसेंगेबरहना-पाई वही रहेगी मगर नया ख़ारज़ार होगा
मोमिन की उम्र पंद्रह बरस की थी। शायद सोलहवां भी लगा हो। उसे अपनी उम्र के मुतअल्लिक़ सही अंदाज़ा नहीं था। वो एक सेहत मंद और तंदुरुस्त लड़का था जिसका लड़कपन तेज़ क़दमी से जवानी के मैदान की तरफ़ भाग रहा था। इसी दौड़ ने जिससे मोमिन बिल्कुल ग़ाफ़िल था।...
ایک شور تھا کہ تلخ کیا ہے حیات کولاشوں سے چل کے پاٹ دو نہرِ فرات کو
अब अगर और चुप रहूँगा मैंफिर ये तय हे कि फट पड़ूँगा मैं
कलेजा रह गया उस वक़्त फट करकहा जब अलविदा उस ने पलट कर
پھر کس طرح نہ بھائی کی چھاتی پہاڑ ہوخیمے میں جا کے شہ نے یہ دیکھا حرم کا حال
और उस में धूम की चादर बिछी हैमगर वो एक जगह से फट रही है
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books