aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "چپل"
चैल बिहारी लाल
लेखक
कमरा बहुत छोटा था जिसमें बेशुमार चीज़ें बेतर्तीबी के साथ बिखरी हुई थीं। तीन चार सूखे सड़े चप्पल पलंग के नीचे पड़े थे जिनके ऊपर मुँह रख कर एक ख़ारिश ज़दा कुत्ता सो रहा था और नींद में किसी ग़ैरमरई चीज़ को मुँह चिड़ा रहा था। उस कुत्ते के बाल...
शहर से कोई डेढ़ दो मील के फ़ासले पर पर फ़िज़ा बाग़ों और फुलवारियों में घिरी हुई क़रीब क़रीब एक ही वज़ा की बनी हुई इमारतों का एक सिलसिला है जो दूर तक फैलता चला गया है। इमारतों में कई छोटे बड़े दफ़्तर हैं जिनमें कम-ओ-बेश चार हज़ार आदमी काम...
आशा ने जैसे अंदर से ज़ोर लगा कर कहा, ‘तुम’ और उसका चेहरा शर्म से सुर्ख़ हो गया। “हाँ इसी तरह तुम कहा करो। तो तुम नहीं चल रही हो? अगर मैं कहूं कि तुम्हें चलना पड़ेगा। तब?”...
“पापों की गठड़ी” की शूटिंग तमाम शब होती रही थी, रात के थके-मांदे ऐक्टर लकड़ी के कमरे में जो कंपनी के विलेन ने अपने मेकअप के लिए ख़ासतौर पर तैयार कराया था और जिसमें फ़ुर्सत के वक़्त सब ऐक्टर और ऐक्ट्रसें सेठ की माली हालत पर तब्सिरा किया करते थे,...
पिछले साल, एक रोज़ शाम के वक़्त दरवाज़े की घंटी बजी। मैं बाहर गयी। एक लंबा तड़ंगा यूरोपीयन लड़का कैनवस का थैला कंधे पर उठाये सामने खड़ा था। दूसरा बंडल उसने हाथ में सँभाल रखा था और पैरों में ख़ाकआलूद पेशावरी चप्पल थे। मुझे देखकर उसने अपनी दोनों एड़ियाँ ज़रा...
महबूब के लबों की तारीफ़-ओ-तहसीन और उनसे शिकवे-शिकायत शायरी में आम है। लबों की ख़ूबसूरती और उनकी ना-ज़ुकी के मज़मून को शायेरों ने नए नए दढिंग से बाँधा है । लबों के शेरी बयान में एक पहलू ये भी रहा है कि उन पर एक गहरी चुप पड़ी हुई है, वो हिलते नहीं आशिक़ से बात नहीं करते। ये लब कहीं गुलाब की पंखुड़ी की तरह नाज़ुक हैं तो कहीं उनसे फूल झड़ते हैं। इस मज़मून में और भी कई दिल-चस्प पहलू हैं। हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए।
उम्मीद में जीवन की आस हमारी इच्छा और आकांक्षा सब शामिल हैं । उम्मीद असल में जीवन को सहारा देने वाली और आगे बढ़ाने वाली अवस्था का नाम है । एक ऐसी अवस्था जो धुंद की तरह होती है उसमें कुछ साफ़ दिखाई नहीं देता लेकिन रौशनी का धोका रहता है । जिस तरह हाथ से सब कुछ निकल जाने के बाद भी एक उम्मीद हमें ज़िंदा रखती है ठीक उसी तरह प्रेमी के लिए भी उम्मीद किसी संपत्ति से कम नहीं । प्रेमी उम्मीद के सहारे ही ज़िंदा रहता है और तमाम दुखों के बावजूद उसे उम्मीद रहती है कि उसका प्रेम उसको मिल कर रहेगा । यहाँ उम्मीद से संबंधित चुनिंदा शायरी को पढ़ते हुए आप महसूस करेंगे कि ये मुश्किल वक़्तों में हौसला देने वाली शायरी भी है ।
ये शायरी महफ़िल की रंगीनियों, चहल पहल और साथ ही महफ़िल के अनदेखे दुखों का बयान है। इस शेरी इंतिख़ाब को पढ़ कर आप एक लम्हे के लिए ख़ुद को महफ़िल की उन्हें सूरतों में घिरा हुआ पाएँगे।
चप्पलچپل
chappal, loafers, slippers
Arabi Bol Chal
मोहम्मद अमीन
भाषा विज्ञान
Chahal Asrar
मीर सयय्द अली हमदनी
शायरी
Saraiki, Urdu, Angrezi Bol Chal
आसिमा ज़ुहूर
संकलन
Farsi Bolchal
मोहम्मद उबैदुल्लाह
शब्द-कोश
Chup Ki Daad
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
Chup
मुमताज़ मुफ़्ती
अफ़साना
Ek Chup Sau Dukh
आदम शीर
Chahl Hadees
हज़रत अली
Bolo Mat Chup Raho
हुसैनुल हक़
नॉवेल / उपन्यास
अबदुर्रहमान अमृतसरी
भाषा
शहर मेरे साथ चल तू
निदा फ़ाज़ली
काव्य संग्रह
Sharah Chahal Kaaf
नजमुल ग़नी ख़ान नजमी रामपुरी
Chahal Hadees Manzoom
सय्यद आबिद अली वज्दी अल-हुसैनी
Dastan Chal Wazeer
शैख़ जादह कू
कि़स्सा / दास्तान
वो अपनी राह चल पड़ीमैं अपनी राह चल दिया
“ख़ाक तुम्हारे मुँह में, ख़ुदा न करे।” मैंने नन्हे को कलेजे से लगा लिया। “ठाएं” नन्हे ने मौक़ा पा कर बंदूक़ चलाई। ...
टैक्सी देर तक इधर-उधर घूमती रही। दलाल ने जब देखा कि हामिद इंतख़ाब के मुआ’मले में बहुत कड़ा है तो इसने दिल में कुछ सोचा और ड्राईवर से कहा, “शिवा जी पार्क की तरफ़ दबाओ... वो भी पसंद न आई तो क़सम ख़ुदा की भड़वागीरी छोड़ दूंगा।” टैक्सी शिवाजी पार्क...
फ़िरऔन अपनी अफ़्वाज के मुआ’इने के लिए अशूरिया की सरहद पर गया हुआ था। अशूरिया से कई साल से लड़ाई जारी थी। “हम दुनिया की क़दीम-तरीन तहज़ीब हैं”, सौस ने टहलते-टहलते बड़े जोश से कहना शुरू’ किया।...
कभी-कभी अपने दोस्तों के इसरार पर वो सारी भी पहना करती। मगर उसमें भी भड़कीले रंगों से गुरेज़ करती। सारी के साथ वो एक ख़ास बलाउज़ पहनती जिसका गला बंद होता और आसतीनें पूरी। ये उसकी अपनी ईजाद थी। ऐसे मौक़े' पर बरबत की शक्ल का एक नन्हा सा तिलाई...
बीबी रो-रो कर हल्कान हो रही थी। आँसू बे-रोक-टोक गालों पर निकल खड़े हुए थे। “मुझे कोई ख़ुशी रास नहीं आती। मेरा नसीब ही ऐसा है। जो ख़ुशी मिलती है, ऐसी मिलती है कि गोया कोका-कोला की बोतल में रेत मिला दी हो किसी ने।”...
माँ जी का आबाई वतन तहसील रोपड़ ज़िला अंबाला में एक गांव मनीला नामी था। वालदैन के पास चंद एकड़ अराज़ी थी। उन दिनों रोपड़ में दरिया-ए-सतलज से नहर सरहिंद की खुदाई हो रही थी। नाना जी की अराज़ी नहर की खुदाई में ज़म हो गई। रोपड़ में अंग्रेज़ हाकिम...
ज़हीर ने फ़ोटो वापस लिफाफे में रखा और सईद से कहा, “मुझे सौ फीसदी यक़ीन है कि बिस्मिल्लाह पहले ही फ़िल्म में कामयाब साबित होगी। लेकिन समझ में नहीं आता कि इसका फ़िल्मी नाम क्या रक्खूं। बिस्मिल्लाह ठीक मालूम नहीं होता। क्या ख़याल है आपका?” सईद ने बिस्मिल्लाह की तरफ़...
एक सर की चादर हो और पाँव में चप्पलअपने सज सँवरने में देर कितनी लगती है
“अरे दस बारह साल हुए क़ानून पास हुआ कि एक से ज़्यादा बीवी की इजाज़त नहीं। तलाक़ बग़ैर दूसरी शादी जुर्म है।” “काय को? अक्खा गुजराती, मराठी, सिंधी और भया लोग कितनी शादी बनाता।”...
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