आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "کھانے"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "کھانے"
शेर
सुर्ख़-रू होता है इंसाँ ठोकरें खाने के बा'द
रंग लाती है हिना पत्थर पे पिस जाने के बा'द
सय्यद ग़ुलाम मोहम्मद मस्त कलकत्तवी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "کھانے"
समस्त
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "کھانے"
ग़ज़ल
क्यूँ नहीं लेता हमारी तू ख़बर ऐ बे-ख़बर
क्या तिरे आशिक़ हुए थे दर्द-ओ-ग़म खाने को हम