आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "کھلواے"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "کھلواے"
नज़्म
निसार मैं तेरी गलियों के
यूँही हमेशा खिलाए हैं हम ने आग में फूल
न उन की हार नई है न अपनी जीत नई
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "کھلواے"
अन्य परिणाम "کھلواے"
नज़्म
दरख़्त-ए-ज़र्द
मैं वो हूँ जिस ने अपने ख़ून से मौसम खिलाए हैं
न-जाने वक़्त के कितने ही आलम आज़माए हैं