aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "کھنک"
भारत चंद खन्ना
1912 - 1995
लेखक
गुलशन खन्ना
1934 - 2019
अमरनाथ खन्ना
संपादक
कृष्ण लाल खन्ना कंवल
मधु मंगेश कर्णिक
born.1931
खुन्नू लाल ताइब लखनवी
अदबी काॅर्नर खन्ना, पंजाब
पर्काशक
लाला अमीर चंद खन्ना, दिल्ली
ख़न्ना लेथो प्रेस, दिल्ली
खड़क सिंह
रुहेलखण्ड लिटरेरी, रामपुर
मत्बा खड़क विलास, पटना
बी. डी. खन्ना दानापुर, पटना
मतबा रोहिलखंड, बरेली
रोहिलखंड लिट्रेरी सोसाएटी
आँचलों की हिनाचूड़ियों की खनक
सुर्ख़ होंटों पर शरारत के किसी लम्हे का अक्सरेशमीं बाँहों में चूड़ी की कभी मद्धम खनक
मेरे जज़्बों के फ़ुसूँ में क़ैद वो होता हुआउस के लहजे की खनक मुझ पर असर करती हुई
लेकिन मदन वहीं खड़ा रहा। एहतियाज ने उसे ढीट और बे-शर्म बना दिया था लेकिन उस वक़्त जब इंदू ने भी उसे डाँट दिया तो वो रुहाँसा होकर अन्दर चला गया। देर तक मदन बिस्तर में पड़ा कसमसाता रहा लेकिन बाबू जी के ख़याल से इंदू को आवाज़ देने की...
फूल की ख़ुशबू हवा की चाप शीशे की खनककौन सी शय है जो तेरी ख़ुश-बयानी में नहीं
खनकکھنک
tinkling
coolness, chilled
Tareekh-e-Rohilkhand
मिर्जा सआदत यार कखान रंगीं
Yadon Ke Jugnu
आत्मकथा
Rohilkhand mein Lok-Geet
राशिद अज़ीज़
Arabi Zaban-o-Adab Mein Rohilkhand Ka Hissa
अबू साद इसलाही
आलोचना
Tawareekh-e-Bundelkhand wa Jaloon
पण्डित किशन नरायन
भारत का इतिहास
Islam Khand ka Pehla Khand
हकीम मुक़ीमुद्दीन अहमद मुक़ीम
नज़्म
Tazkira-e-Shairat-e-Rohilkhand
शादाब ज़की बदायूनी
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Tazkira Mumtaz Shora-e-Bundelkhand
सय्यद मोहम्मद रज़ा
Tareekh-e-Rohilkhand Urdu
नियाज़ मोहम्मद ख़ाँ मोश
ठंढी बिजलियाँ
हास्य-व्यंग
कलंक
सरला देवी
महिलाओं की रचनाएँ
Bundelkhand
अननोन ऑथर
नीतिपरक
Tareekh-e-Roohel Khand
Tareekh-e-Ruhailkhand
मुस्तफ़ा हुसैन निज़ामी
Mahim Ki Khadi
कहानी
मेरी इक शर्ट में कल उस ने बटन टाँका थाशहर के शोर में चूड़ी की खनक आज भी है
मैंने उसे मारा पर वो भागने की बजाय मेरे दामन में आकर गुम हो गया। तब मुझे अंदेशों और वस्वसों ने घेरा। मेरी आँखों की नींद ग़ायब और दिल का चैन रुख़्सत हो गया और मैंने ज़ारी की, ए मेरे मा’बूद मुझ पर रहम कर कि मेरा दिल आलाईशों में...
तिरे ख़याल की पड़ती हुई किरन की खनक3
کربلا کے رخ رنگیں پہ دمک آج بھی ہےاس کے در کے ہوئے شیشوں میں کھنک آج بھی ہے
लहजे की खनक हो कि निगाहों की सदाक़तयूसुफ़ के लिए मिस्र के बाज़ार बहुत हैं
इक नुक़रई खनक के सिवा क्या मिला 'शकेब'टुकड़े ये मुझ से कहते हैं टूटी प्लेट के
कि आजवो अपनी चूड़ियों की खनक से शरमाई जा रही थी
इसी ख़्वाहिश के दामन में वही सिक्के खनक उठतेसदा तब्दील कर लेते अगर कासा बदल लेते
किस की बातों में सुनूँगी तेरे लहजे की खनककिस सितारे में बसेगी तेरी आँखों की चमक
अडलफ़ी चैंबर्ज़ क्लियर रोड बंबई के 17 नंबर फ़्लैट में जहां “मुसव्विर” हफ़्तावार का दफ़्तर था, शाहिद लतीफ़ अपनी बीवी के साथ दाख़िल हुआ। ये अगस्त 1942 की बात है। तमाम कांग्रेसी लीडर महात्मा गांधी समेत गिरफ़्तार हो चुके थे और शहर में काफ़ी गड़बड़ थी। फ़िज़ा सियासियात में बसी...
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