aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "अमरबेल"
तेरे क़ामत से भी लिपटी है अमर-बेल कोईमेरी चाहत को भी दुनिया की नज़र खा गई दोस्त
मुमानी छुप-छुप कर घंटों रोतीं। आँसू भरी आँखों में लाल-लाल डोरे और भी सितम ढाने लगते। सुता हुआ ज़र्द चेहरा जैसे सोने की गिन्नी में किसी बे-ईमान सुनार ने चाँदी की मिलावट बढ़ा दी हो। फीके फीके होंट, माथे पर उलझी सी एक वारफ़्ता लट। देखने वाले कलेजा थाम कर...
रूह में रेंगती रहती है गुनह की ख़्वाहिशइस अमरबेल को इक दिन कोई दीवार मिले
अमर-बेलامر بیل
An epidendron, or parasitical plant , similar to Misletoe
अमरबेलامربیل
name of a climber, vine
बुरान लाइह फ़ि तहक़ीक़ अमर-उल-ज़बाइह
सय्यद कमरुद्दीन अहमद
अन्य
दीवार पे वा'दों की अमर-बेल चढ़ा दीरुख़्सत के लिए और बहाना ही नहीं था
मुँह धुलाती सवेरे की पहली किरनसाएबाँ पर अमर-बेल महकी हुई
लेकिन बहार! उसके तसव्वुर में ही एक ऐसा जादू है, उसके तख़य्युल में ही एक ऐसी कशिश है कि मेरी इन बे-हरकत रगों में नई ज़िंदगी की बिजली दौड़ने लगती है और साथ-साथ एक अंदोहगीं पशेमानी ख़ून की एक-एक बूँद में घर कर लेती है। बहार! ये लफ़्ज़ कितना सोगवार...
मुझ से लिपटा है अमरबेल के मानिंद कोईमुझ को बे-बर्ग न करता तो समर देता क्या
अमरबेल पेड़ों की शाख़ों से जैसेवो रह रह के शाख़ों से जैसे
कोई फल पाएगा क्या तुख़्म-ए-मोहब्बत बो करइस अमर-बेल में तो बर्ग-ओ-समर कुछ भी नहीं
लिपट के रोए अमर-बेल से दर-ओ-दीवारपलट के आए मुसाफ़िर हवेलियाँ न खुलीं
दरख़्त ने अमरबेल को ज़िंदगी दीनुमू बख़्शी
दीवारों पे हरियाली दरख़्तों पे अमरबेलहिज्राँ का हवेली की हर इक शय पे असर है
अमर-बेल की तरह हाथों से रअशा लिपटने लगारफ़्ता रफ़्ता... सिमटने लगे... अर्श-ए-ख़ाक पर
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