aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "कसरत"
क़सरी कानपुरी
1914 - 1996
शायर
किरत मुंशी लाल जी
संपादक
कफ़ील अहमद करत पुरी
लेखक
कीरत मीहर चांदानी
राए किरत चंद
डोमीनियन बुक कंसर्न, हैदराबाद
पर्काशक
क़सर-उल-अदब, आगरा
क़स्र-ए-अदब पब्लिकेशन्स, भोपाल
क़स्र-ए-उर्दू, उर्दू बाज़ार, दिल्ली
मकतबा क़स्र-ए-उर्दू, दिल्ली
शिवराम कारंत
क़स्र-ए-अदब, लाहौर
मत्बा क़सरी, बरेली
मतबा दबदब-ए-क़सरी, बरेली
ग़ज़ब थी कसरत-ए-महफ़िल कि मैं ने धोके मेंहज़ार बार रक़ीबों को हम-कनार किया
तुझ को पूजा है कि असनाम-परस्ती की हैमैं ने वहदत के मफ़ाहीम की कसरत कर दी
हल कुछ तो निकल आएगा हालात की ज़िद काऐ कसरत-ए-आलाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
ये वहदत है कसरत में हर दम असीरमगर हर कहीं बे-चुगों बे-नज़ीर
वहदत-ए-हुस्न के जल्वों की ये कसरत ऐ इश्क़दिल के हर ज़र्रे में आलम है परी-ख़ाने का
चाँद उर्दू शाएरी का एक लोकप्रिय विषय रहा हैI चाँद को उसकी सुंदरता, उसके उज्ज्वल नज़ारे से उसके प्रतिरूप के कारण कसरत से उपयोग में लाया गया हैI शाएर चाँद में अपने माशूक़ की शक्ल भी देखता हैI शाएरों ने बहुत दिलचस्प अंदाज़ में शेर भी लिखे हैं जिनमें चाँद और माहबूब के हुस्न के बीच प्रतिस्पर्धा का तत्व भी मौजूद है।
मुलाक़ात को शायरों ने कसरत के साथ मौज़ू बनाया है। शायर अपनी ज़िंदगी में जो भी कुछ हो लेकिन शाइरी में ज़रूर आशिक़ बन जाता है। इन शेरों में आप मुलाक़ात के मयस्सर न होने, मुलाक़ात के इंतिज़ार में रहने और मुलाक़ात के वक़्त महबूब के धोका दे जाने जैसी सूरतों से गुज़रेंगे।
कसरतکثرت
excess
प्राचुर्य, वाहुल्य, अधिकता, | प्रचुरता, बहुतात, इफ़रात् ।।
क़स्र-ए-शीरीं
अब्दुल हमीद अदम
ग़ज़ल
Ahkam-e-Islam
इस्लामियात
क़सर-ए-जन्नत
मोहम्मद जाफ़र अली
Maut Ke Baad
नॉवेल / उपन्यास
मुख़्तसर देसी कसरत
ए पी मिचल
अन्य
Maut Ke Bad
Swami Vivekananda
अनुवाद
Kaleed-e-Zamanat
संविधान / आईन
Aabshar-e-Fikr
Choma Ka Dhol
Shumaara Number-001
अकमल हैदराबादी
क़स्र-ए-जदीद, हैदराबाद
मिट जाएँ एक आन में कसरत-नुमाइयाँहम आइने के सामने जब आ के हू करें
लेकिन इस तरफ़ कुछ किताबें बेचने वालों की दुकानें हैं। किताबों की दुनिया मुर्दों और ज़िंदों दोनों के बीच की दुनिया है। यहाँ हर शख़्स कह सकता है कि “हम भी इक अपनी हवा बाँधते हैं।” चलें ज़रा किताबों की इस ख़याली दुनिया की सैर करें। वो एक तरफ़ अलमारी...
चुनांचे प्रभात फेरी निकालते हुए जब सुंदर लाल बाबू, उसका साथी रसालू और नेकी राम वग़ैरा मिलकर गाते, “हथ लाइयाँ कुम्हलाँ नी लाजवंती दे बूटे...” तो सुंदर लाल की आवाज़ एक दम बंद हो जाती और वो ख़ामोशी के साथ चलते-चलते लाजवंती की बाबत सोचता... जाने वो कहाँ होगी, किस...
उसका क़द आम लोगों जितना था। यानी न छोटा न बड़ा। अलबत्ता जब वो एक ख़ास अंदाज़ से यानी अपनी कमर की हड्डी को ढीला छोड़ के खड़ा होता तो उसके क़द में नुमायां फ़र्क़ पैदा हो जाता। इस तरह जब कि वो एक दम खड़ा होता तो उसका क़द...
कम किसू को 'मीर' की मय्यत की हाथ आई नमाज़ना'श पर उस बे-सर-ओ-पा की बला कसरत हुई
माल रोड पर मोटरों, तांगों और बाई-साईकिलों का तांता बंधा हुआ तो था ही पटरी पर चलने वालों की भी कसरत थी। अलावा अज़ीं सड़क की दो रवैय्या दुकानों में ख़रीद-व-फ़रोख़्त का बाज़ार भी गर्म था। जिन कम नसीबों को न तफ़रीह-ए-तबा की इस्तिताअ'त थी न ख़रीद-व-फ़रोख़्त की, वो दूर...
कसरत-ए-आज़ार ने तालीम दे दी ज़ब्त कीजब्र के बाइस से दिल को सब्र करना आ गया
हाथों में हथकड़ियाँ, दिल में ग़ुस्सा-ओ-ग़म तो सारे शहर में हलचल सी मच गई। मेलों में शायद शौक़-ए-नज़ारा ऐसी उमंग पर न आता हो, कसरत-ए-हुजूम से सक़फ़-ओ-दीवार में तमीज़ करना मुश्किल था। मगर अदालत में पहुँचने की देर थी। पण्डित अलोपीदीन इस क़ुलज़ुम-ए-नापैद किनारे के नहंग थे। हुक्काम उनके क़द्र-शनास,...
“तो फिर आप सिगरेट कसरत से पीते होंगे?” “नहीं मैं सिगरेट भी नहीं पीता, शराबनोशी और सिगरेट नोशी दोनों ही बुरी आदतें हैं और मैं ऐसी किसी बुरी आदत का शिकार नहीं।” मजाज़ ने जवाब दिया।...
जिस तरह जिस्मानी सेहत बरक़रार रखने के लिए कसरत की ज़रूरत है, ठीक उसी तरह ज़हन की सेहत बरक़रार रखने के लिए ज़हनी वरज़िश की ज़रूरत है।...
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