aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "छिछलती"
कारें तो छिछलती बिजली हैं तांगों के तीरों को कैसे सहूँये माना इन में शरीफ़ों के घर की धन-दौलत है माया है
थोड़ी दूर चल के उसे अंग्रेज़ी मौसीक़ी की एक बड़ी सी दुकान नज़र आई और वो बिलातकल्लुफ़ अन्दर चला गया। हर तरफ़ शीशे की अलमारियों में तरह तरह के अंग्रेज़ी साज़ रखे हुए थे। एक लंबी मेज़ पर मग़्रिबी मौसीक़ी की दो वर्की किताबें चुनी थीं। ये नए चलनतर गाने...
ये हुस्न ओ नुमाइश जारी हैइस एक झलक को छिछलती नज़र से देख के जी भर लेने दो
स्टेशन मास्टर के कमरे के बाहर प्लेटफ़ार्म की वाहिद बेंच पर दो औरतों ने क़ब्ज़ा जमा रखा है। उनमें से एक अधेड़ उम्र है और एक जवान। अधेड़ एक गठरी सर के नीचे रखे लेटी हुई है और जवान उसके पाएंती बैठी है। अधेड़ उम्र अपनी सीधी-सादी वज़्अ और कपड़ों...
ये तो था नारद मुनि का कारनामा अब ज़रा बी-जमालो की कारस्तानी मुलाहिज़ा फ़रमाइए। बी-जमालो कथा सुनकर मंदिर से चली आ रही है कि रास्ते में उसकी मुलाक़ात मालती से होती है। मालती की शादी हुए सात-आठ महीने हुए हैं, बी-जमालो मालती पर एक छिछलती हुई नज़र डालते हुए कहती...
छिछलतीچھچھلتی
fleeting glance
जहाँ पर अबद का किनारा है और इक वो गाँववो गन्ने के क्यारों पे आती हुई डाक गाड़ी के भोरे धुएँ की छिछलती सी छाँव
और उसने कार का दरवाज़ा खोला और हैंडिल को रूमाल से साफ़ करने लगा। उसने सोचा कि वो किधर जाए, यूँही उसे ख़्याल आया कि पहले कार में बैठ जाए फिर सोचेगा कि उसे किधर जाना है। कार में बैठे हुए उसे चंद सेकेंड ही गुज़रे थे कि उसे पसीना...
काँटों में घिरे फूल को चूम आएगी लेकिनतितली के परों को कभी छिलते नहीं देखा
शुजाअ'त मामूँ बड़े माक़ूल आदमी थे। निहायत सुथरा नक़्शा, छरेरा बदन, दर्मियाना क़द, इम्तियाज़ी फुफ्फो सारे में कहती फिरतीं थीं कि ख़िज़ाब लगाते हैं, मगर आज तक किसी ने कोई सफ़ेद बाल उनके सर में नहीं देखा, इसलिए ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल था कि ख़िज़ाब लगाना कब शुरू' किया... यूँ...
शुक्र है कि रब्बो रात को आ गई और मैं डरी हुई जल्दी से लिहाफ़ ओढ़ कर सो गई मगर नींद कहाँ। चुप घंटों पड़ी रही। अम्माँ किसी तरह आ ही नहीं चुकी थीं। बेगम जान से मुझे ऐसा डर लगता था कि मैं सारा दिन मामाओं के पास बैठी...
कुत्तों के भौंकने पर मुझे सब से बड़ा एितराज़ ये है कि उनकी आवाज़ सोचने के तमाम क़ुवा को मुअत्तल कर देती है। ख़ुसूसन जब किसी दुकान के तख़्ते के नीचे से उनका एक पूरा खुफ़िया जलसा बाहर सड़क पर आ कर तब्लीग़ का काम शुरू कर दे तो आप...
दहशत से सूरतें उनकी चपटी होने लगीं। और ख़द-ओ-ख़ाल मस्ख़ होते चले गए। और अलियासफ़ ने घूम कर देखा और बंदरों के सिवा किसी को न पाया। जानना चाहिए कि वो बस्ती एक बस्ती थी। समुंदर के किनारे। ऊंचे बुर्जों और बड़े दरवाज़ों वाली हवेलियों की बस्ती, बाज़ारों में खोई...
कालू भंगी को जानवरों से बड़ा लगाव था। हमारी गाय तो उस पर जान छिड़कती थी और कम्पाउन्डर साहब की बकरी भी, हालाँके बकरी बड़ी बेवफ़ा होती है, औरत से भी बढ़के, लेकिन कालू भंगी की बात और थी, उन दोनों जानवरों को पानी पिलाए तो कालू भंगी, चारा खिलाए...
मिरी रगें छिलती जराहत को कौन बख़्शेशिफ़ा की शबनम
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books