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हिंदी ग़ज़ल
भूक है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ
आज-कल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुद्दआ
दुष्यंत कुमार
हास्य
वहाँ ज़ेर-ए-बहस आते ख़त-ओ-ख़ाल ओ ख़ू-ए-ख़ूबाँ
ग़म-ए-इश्क़ पर जो 'अनवर' कोई सेमिनार होता